'लव जिहाद' पर क़ानून बनाने की बात करती रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने घोषणा की है कि इसने राज्य में अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए अध्यादेश लाने की प्रक्रिया शुरू की है। हालाँकि इस दिशा में काम पिछले एक साल से हो रहा है, लेकिन इसमें तेज़ी तब आई जब योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों कहा का 'लव जिहाद' पर क़ानून लाया जाएगा। क़रीब एक पखवाड़े पहले योगी आदित्यनाथ ने एक सभा में 'लव जिहाद' का ज़िक्र करते हुए कहा था कि जो कोई भी हमारी बहनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करेगा उसकी 'राम नाम सत्य है' की यात्रा अब निकलने वाली है। योगी ने कहा कि उनकी सरकार इसके लिए क़ानून बनाएगी।
चूँकि सरकार क़ानून विधानसभा में ही बना सकती है और फ़िलहाल विधानसभा चल नहीं रही है, ऐसे में सरकार के पास अध्यादेश लाने का ही रास्ता है। यानी अध्यादेश सरकारें तब लाती हैं जब विधानसभा की कार्यवाही नहीं चल रही होती है और किसी विषय पर क़ानून बनाना ज़रूरी होता है। यह क़ानून की शक्ल में होता है लेकिन बाद में विधानसभा से क़ानून पास कराना ज़रूरी होता है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस विषय पर एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसके साथ ही 'उत्तर प्रदेश फ्रीडम ऑफ़ रिलीजन एक्ट, 2019' के एक मसौदे के साथ प्रस्ताव किया था कि 'विवाह के एकमात्र उद्देश्य के लिए किए गए धर्मांतरण को अमान्य क़रार दिया जाए। लेकिन पिछले एक साल से इसमें ज़्यादा प्रगति नहीं हो पाई थी। इसमें तेज़ी तब आई जब योगी आदित्यनाथ ने 'लव जिहाद' को लेकर बात छेड़ी। इस बीच हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने 'लव जिहाद' पर क़ानून लाने की बात कही।
बीजेपी शासित इन राज्य सरकारों द्वारा जिस 'लव जिहाद' शब्द का इस्तेमाल किया गया, वह दरअसल बहुत ही विवादास्पद शब्द है। इसको लेकर सरकारी तौर पर ऐसी कोई रिपोर्ट या आँकड़ा नहीं है जिससे इसके बारे में कोई पुष्ट बात कही जा सके।
सरकार ने फ़रवरी में संसद को बताया था कि इस शब्द को मौजूदा क़ानूनों के तहत परिभाषित नहीं किया गया और किसी भी केंद्रीय एजेंसी द्वारा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था। लेकिन अधिकतर दक्षिणपंथी और ट्रोल इन शब्दों के माध्यम से यह बताने की कोशिश करते रहे हैं कि मुसलिम एक साज़िश के तहत हिंदू लड़कियों को फँसा लेते हैं, उनसे शादी करते हैं और फिर धर्म परिवर्तन करा लेते हैं।
बीजेपी शासित इन राज्य सरकारों के 'लव जिहाद' की विपक्षी दलों द्वारा शासित कम से कम पाँच राज्य सरकारों ने आलोचना की है और उसकी निंदा की है। इन राज्य सरकारों ने कहा है कि ऐसा क़ानून बनाना व्यक्तिगत आज़ादी में दखल होगा और यह देश में सांप्रदायिक विभाजन करने का प्रयास है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक दिन पहले ही शुक्रवार को एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा, ‘लव जिहाद बीजेपी के द्वारा गढ़ा गया शब्द है जो देश को बाँटने और सांप्रदायिक सौहार्द्र को नष्ट करने के लिए बनाया गया है। शादी का मसला व्यक्तिगत आज़ादी का है, इसे रोकने के लिए क़ानून लाना पूरी तरह असंवैधानिक है और यह किसी भी अदालत में नहीं टिकेगा।’ गहलोत ने कहा कि प्यार में जिहाद के लिए कोई जगह नहीं है।
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उन्होंने आगे कहा, ‘बीजेपी के नेता देश में ऐसा माहौल बना रहे हैं, जहाँ पर नौजवान लड़के-लड़कियों को किसी सरकार की दया पर निर्भर रहना होगा।’
गहलोत ने फिर कहा कि शादी एक व्यक्तिगत फ़ैसला है और वे (बीजेपी नेता) इस पर रोक लगाना चाहते हैं और यह किसी की व्यक्तिगत आज़ादी को छीनने जैसा है।
गहलोत आगे कहते हैं कि ऐसा लगता है कि यह सब देश के सांप्रदायिक सौहार्द्र को ख़त्म करने, सामाजिक संघर्ष को बढ़ावा देने और संवैधानिक नियमों का मखौल उड़ाने की एक चाल है।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव, केरल की सत्ताधारी वामपंथी सरकार, पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार और पांजब कांग्रेस के प्रमुख सुनल जाखड़ ने भी ऐसी ही टिप्पणियाँ की हैं।
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