छोटे व स्थानीय स्तर पर होने वाले उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 में वही गहमगहमी, राजनीतिक दाँव पेंच, घात-प्रतिघात और आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं, जो विधानसभा चुनावों में होते हैं। तमाम राजनीतिक दलों ने अपने बड़े नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार दिया है, बॉलिवुड के कलाकार भी कुछ उम्मीदवारों की मदद में जुटे हुए हैं। उम्मीदवार पैसे और शराब पानी की तरह बहा रहे हैं।
लाखों रुपए खर्च कर तमाम तरह के नैतिक-अनैतिक रास्ते अपना कर लोग इसलिए मैदान में उतरे हुए हैं कि लोकतंत्र के इस पर्व का उत्सव मनाया जा सके और पंचायती राज को मजबूत किया जा सके ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो सके! यह पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया और पंचायती राज का मखौल नहीं तो और क्या है?
पार्टी से स्पष्ट निर्देशों के बाद भी सांसद कौशल किशोर और पूर्व राज्यसभा सांसद जुगुल किशोर ने अपने परिजनों को मैदान में उतार दिया है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह की भतीजी संध्या मैनपुरी में बीजेपी उम्मीदवार बन गयी हैं।
साम-दाम
उत्तर प्रदेश में चौथे नंबर की पार्टी कांग्रेस अपने ज़िला पंचायत प्रत्याशियों के लिए साम-दाम की नीति अपना रही है। अक्सर घर या दफ़्तर में ही कैद रह कोरोना काल निपटाने वाले समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव पंचायत चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों का झगड़ा निपटाने देर रात तक जुटे रहते हैं। चुकी हुई ताकत मान ली गयी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के टिकट के लिए जमकर मारामारी हो रही है।
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बालीवुड तक क़तार में
यूपी के पंचायत चुनावों का क्रेज सांसद, विधायकों, अधिकारियों से लेकर बालिवुड में भी दिखायी दे रहा है। जहाँ पूर्व सांसद खुद या वर्तमान सांसदों के परिजन मैदान में हैं वहीं कई पूर्व विधायक भी चुनाव मैदान में उतरे हैं। लगभग हर ज़िले में बड़े नेताओं के परिजन चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं। कई जगहों पर पूर्व अधिकारी तो कुछ जगहों पर सेवारत अधिकारियों की पत्नी मैदान में हैं।
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फ़ेमिना मिस इंडिया की इस साल रनर-अप रही दीक्षा सिंह जौनपुर के बख्शा से ज़िला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं। बीजेपी के पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा श्रावस्ती तो रीना चौधरी लखनऊ से मैदान में हैं। सांसद कौशल किशोर की बहू श्वेता लखनऊ से जिला पंचायत सदस्य की प्रत्याशी हैं। पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला भी मैदान में हैं। रायबरेली में पूर्व विधायक राजाराम त्यागी पंचायत चुनाव लड़ रहे हैं तो सेल्स टैक्स कमिश्नर रहे ब्रजलाल पासी भी इसी ज़िले से मैदान में हैं।
बह रहा है पैसा
विधानसभा या लोकसभा चुनावों की तरह ही पंचायत चुनावों में भी पैसा बहाया जा रहा है। मतदाताओं को लुभाने के असली-नकली शराब खूब परोसी जा रही है। यह उस समय हो रहा है जब प्रदेश में महीने भर में नकली शराब पीने से मरने वालों की तादाद 30 हो गई है।
प्रवासी मजदूरों को वोट डालने के लिए भाड़ा देकर गाँव बुलाया जा रहा है। चुनाव हुए भी नहीं हैं, लेकिन मिठाई इस तरह बँट रही है कि चुनाव आयोग ने बीते 15 दिनों में ही तीन सौ क्विंटल से ज्यादा लड्डू जब्त किए हैं।
चार चरणों में है चुनाव
उत्तर प्रदेश में कुल चार चरणों में पंचायत चुनाव होंगे। अधिसूचना के मुताबिक 15 अप्रैल, 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को मतदान होंगे, 2 मई को मतगणना होगी। राजधानी लखनऊ में मतदान 19 अप्रैल को होंगे।
प्रदेश भर में 58189 ग्राम पंचायतें हैं, ग्राम पंचायतों के वार्डों की संख्या 7,32,563 है। प्रदेश में क्षेत्र पंचायतों की संख्या 826 और क्षेत्र पंचायतों के वार्डों की संख्या 75855 है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 75 ज़िला पंचायत हैं। क्षेत्र पंचायत व ज़िला पंचायत प्रमुख का चुनाव चुने गए सदस्य करेंगे। इस बार प्रदेश में 8,0762 मतदान केंद्र होंगे जहाँ 12.39 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
पहले चरण के मतदान में 18 ज़िले, दूसरे चरण के मतदान में 20 ज़िले तो तीसरे चरण के मतदान में 20 ज़िले शामिल किए गए हैं। चौथे और अंतिम चरण के मतदान में 17 ज़िलों में लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
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