एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से कहा है कि गिरफ़्तार मलयालम पत्रकार सिद्दिक़ कप्पन को दिल्ली भेज कर उनका इलाज कराए।
कप्पन को हाथरस बलात्कार कांड की खबर जुटाने जाते हुए रास्ते से गिरफ़्तार किया गया था और आतंकवाद निरोधी क़ानून समेत कई धाराओं में उन्हें मथुरा जेल में डाल दिया गया था।
क्या कहना है सरकार का?
सॉलीसिटर जनरल ने कहा कि सिद्दिक कप्पन के पास से 'तेजस' का आईडी कार्ड मिला है जिसका उन्हें पत्रकार बताया जा रहा है। लेकिन यह अख़बार तीन साल पहले बंद हो गया था। उन्होंने कहा कि कप्पन फर्जी पहचान पत्र लेकर जा हाथरस जा रहे थे. उन्होंने कहा कि 'तेजस' पीएफआई का मुखपत्र है. इसके सिमी के साथ भी संबंध हैं।इसके पहले केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जनर्लिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) ने कि आरोप लगाया था कप्पन को अस्पताल में उसके बिस्तर से जंजीर से बांध कर रखा गया है। कप्पन को बाथरूम में गिरने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में कोरोना संक्रमित भी पाए गए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कप्पन को जंजीर से बांधने के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा है कि कप्पन की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है।
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कप्पन की पत्नी ने क्या कहा?
इसके एक दिन पहले यानी रविवार को कप्पन की पत्नी राइहानाथ ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना को चिट्ठी लिख कर कहा था कि कप्पन की जान ख़तरे में हैं। उन्होंने खत में लिखा था कि कप्पन बीमार हैं, उन्हें कोरोना हो गया, वे कमजोर हैं और यकायक ज़मीन पर गिर पड़े। लिहाज़ा उन्हें के. एम. मेडिकल कॉलेज में दाखिला करा दिया जाए।
केरल के मुख्यमंत्री ने किया हस्तक्षेप
इसके पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिख कर कहा था, 'कप्पन का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, इसके बावजूद उन्हें जेल में बिस्तर के साथ जंजीरों से बाँध कर रखा गया है। आपसे मेरी गुजारिश है कि आप स्वयं हस्तक्षेप करें ताकि कप्पन के साथ मानवीय व्यवहार किया जा सके।'
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