मीडिया में एक कहानी शुक्रवार को आग की तरह फैली। संभल प्रशासन ने दावा किया कि शहर में सांप्रदायिक दंगों के बाद 1978 से बंद एक मंदिर को शुक्रवार को फिर से खोल दिया। अधिकारियों ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद से कुछ ही दूरी पर स्थित मंदिर को अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान अधिकारियों की नजर पड़ने के बाद खोला गया। भस्म शंकर मंदिर में हनुमान मूर्ति और एक शिवलिंग है। यहां की एसडीएम वंदना मिश्रा ने दावा किया कि "इलाके का निरीक्षण करते समय, हमारी नजर इस मंदिर पर पड़ी। इस पर ध्यान देने पर, मैंने तुरंत जिला अधिकारियों को सूचित किया।" वंदना ने कहा, "हम सभी एक साथ यहां आए और मंदिर को फिर से खोलने का फैसला किया।" एसडीएम के इस बयान को कुछ टीवी चैनलों, एएनआई न्यूज एजेंसी और हिन्दी मीडिया ने इसे फौरन हिन्दू-मुसलमानों के बीच विवाद के रूप में पेश कर दिया।
संभलः नफरती मीडिया और प्रशासन ने मंदिर पर कब्जे की झूठी कहानी फैलाई
- उत्तर प्रदेश
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- 16 Dec, 2024
संभल में एक प्राचीन मंदिर के फिर से मिलने और उसका ताला खोले जाने की कहानी पिछले शुक्रवार को टीवी चैनलों पर, हिन्दी मीडिया पर देख और पढ़ रहे होंगे। लेकिन यह कहानी फर्जी है। संभल का भष्म शंकर मंदिर रस्तोगी समाज का है। जिस रस्तोगी परिवार ने इस मंदिर को बनवाया उसने नफरती मीडिया पर तमाचा मारते हुए सारा सच बताया और कहा कि इस मंदिर पर ताला उन्होंने लगाया क्योंकि वो इस इलाके से दूसरे इलाके में रहने चले गये थे। बीच-बीच में वो लोग पूजा करने आते थे। यहां पर किसी पुजारी की नियुक्ति नहीं हो पाई तो मंदिर बंद ही रहता था। लेकिन इस मंदिर पर कब्जा करने या पूजा रोकने की सारी कहानी फर्जी है।
