कई फ़िल्मों में काम कर चुकीं, शिक्षिका, कांग्रेस प्रवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जफर को लखनऊ पुलिस ने बीते गुरुवार को उपद्रव भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है। सदफ उस दिन घटनास्थल से कुछ दूर हज़रतगंज चौराहे पर खड़ी थीं और महज़ वापस लौटते नारेबाज़ी करते लोगों का वीडियो बना रही थीं। पुलिस ने उन पर दंगा भड़काने और लोगों को उकसाने का आरोप लगाकर गिरफ़्तार कर लिया।
पुलिस ने 24 घंटे से ज़्यादा हिरासत में रखकर सदफ जफर की कथित तौर पर पिटाई की, दुर्व्यवहार किया और उनको जमकर प्रताड़ित किया। शनिवार को जेल में पेश की गईं सदफ के साथ वहाँ भी दुर्व्यवहार होने की ख़बर है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने भी सदफ से हुए दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाते हुए ट्वीट किया है। सोमवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और रविवार को कई अन्य नेता सदफ से मिलने जेल भी गए। कांग्रेस ने सदफ व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दी है। लखनऊ से प्रकाशित ज़्यादातर अख़बारों में सदफ जफर से हुए पुलिसिया व्यवहार की ख़बरें छायी हुई हैं पर पुलिस का कोई अदना-सा अधिकारी भी इस मुद्दे पर बोल नहीं रहा है।
पुलिस सदफ जफर से बीते कुछ समय से तमाम सामाजिक मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन करने से नाराज़ थी और मौक़े की ताक में थी। ख़ुद एक पुलिस अधिकारी ने इस संवाददाता को बताया को सदफ अपने फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से लगातार सीएए व एनआरसी का विरोध कर रही थीं, हालाँकि उनकी दंगास्थल पर मौजूदगी नहीं पायी गयी।
‘बाल पकड़कर पीटा, भद्दी गालियाँ दीं…’
सदफ जफर से जेल मिलने गए और हज़रतगंज में हिरासत के दौरान वहाँ गए लोगों का कहना है कि उनके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया गया। हिरासत के दौरान उन्हें जमकर पीटा गया और बाल खींच कर घसीट कर लॉकअप में डाल दिया गया। महिला ही नहीं पुरुष पुलिस कर्मियों ने हिरासत के दौरान सदफ को भद्दी-भद्दी गालियाँ दीं और उन्हें बरबाद कर देने की धमकी दी। सदफ जफर को अपने दो छोटे बच्चों से भी मिलने नहीं दिया गया। पूरे मामले को अदालत के संज्ञान में लाया गया है।
कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं पर कहर
रंगमंच कलाकार, वामपंथी कार्यकर्ता और सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय रहने वाले दीपक कबीर को शुक्रवार को तब पुलिस ने बैठा लिया था जब वह हज़रतगंज थाने में अपने साथियों के बारे में जानकारी लेने गए थे। दीपक कबीर को भी पुलिस ने संगीन धाराएँ लगाकर जेल भेज दिया है। दीपक कबीर की लॉकअप में जमकर पिटाई की गयी है और उन्हें जेल पहुँचने पर भी पीटा गया है। कुछ ऐसा ही हाल स्थानीय डिग्री कॉलेज में शिक्षक रॉबिन वर्मा व डॉ. कपिल का है जिन्हें उपद्रवियों को उकसाने के जुर्म में गिरफ़्तार किया गया है। रिहाई मंच के मो. शोएब को पुलिस ने गुरुवार की घटना के पहले ही नज़रबंद कर दिया था। अब उन्हें भी दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया है। यही हाल रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी का है। दारापुरी और मो. शोएब दोनों 70 साल पार के बुजुर्ग हैं और पुलिस के मुताबिक़ दोनों दंगाइयों को लीड कर रहे थे।
क्या कहा उप मुख्यमंत्री ने?
नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी पर सरकार व बीजेपी का पक्ष रखने के लिए रविवार को उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को मैदान में उतारा गया। उप मुख्यमंत्री के संज्ञान में जब सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जफर व दीपक कबीर की गिरफ़्तारी की बात लायी गयी तो उन्होंने सूचना तक होने से इनकार किया और कहा कि वह इसे पता कर ही बता सकेंगे। हालाँकि डॉ. शर्मा ने कहा कि उपद्रव फैलाने में बाहर से आए लोगों का हाथ है। उन्होंने मालदा, बंगाल से आए लोगों और पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया का नाम लिया। इस सबके बाद भी वह यह नहीं बता पाए कि जब उपद्रवी बाहरी थे तो सामाजिक कार्यकर्ताओं को किस बिना पर गिरफ़्तार किया गया है।
फ़ेसबुक पर विरोध करने वालों की गिरफ़्तारी
लोकतंत्र में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर अपना विरोध जताने वालों पर यूपी पुलिस कहर बरपा रही है। अब तक 15000 से ज़्यादा लोग व पोस्टें चिह्नित की गयी हैं। पुलिस का कहना है कि फ़ेसबुक पर सरकार विरोधी बातें लिखने वालों को फ़ोन से चेतावनी तक दी जा रही है और जो नहीं मान रहे हैं उन्हें घर से गिरफ़्तार किया जा रहा है। फ़ेसबुक पर सक्रिय कई लोग अपने घर छोड़ कहीं और चले गए हैं। तमाम लोगों को फ़ेसबुक अकाउंट डिएक्टिवेट करने पर मजबूर किया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्हें सरकार की ओर से साफ़ निर्देश हैं कि फ़ेसबुक के ज़रिए विरोध को हवा देने वालों की धड़ पकड़ की जाए।
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