ऐसे समय जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कुछ ही महीने बचे हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आज़ादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव के तहत पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम करने का निर्णय किया है, जिससे 'राष्ट्रवादी' वातावरण तैयार हो।
इसके तहत छोटे बड़ों शहरों, गाँवों-कस्बों में हज़ारों सभाएं की जाएंगी, तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी और वंदे मातरम के सामूहिक गान का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
आरएसएस भले ही खुद को सबसे बड़ा ग़ैर सरकारी संगठन माने और खुद को अराजनीतिक कहे, सच यह है कि यह बीजेपी की मातृ संस्था है और उत्तर प्रदेश में होने वाले ये कार्यक्रम बीजेपी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए ही किए जा रहे हैं।
संघ का यह कार्यक्रम कितने बड़े स्तर पर होना है, इसे इससे समझा जा सकता है कि सिर्फ वाराणसी में ही ब्लॉक स्तर पर 155 और कस्बों में 105 सभाएं की जाएंगी। इन सभाओं में एक हज़ार से दो हज़ार लोगों के शामिल होने की संभावना है।
विजय दिवस
आरएसएस इन कार्यक्रमों की शुरुआत 19 नवंबर को करेगा, वह इसे रानी लक्ष्मी बाई की 193वीं वार्षिकी के रूप में मनाएगा। नरेंद्र मोदी उसी दिन बुुंदेलखंड जाएंगे और बीजेपी के प्रचार की शुरुआत करेंगे।
इसके अलावा आरएसएस 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाएगा। इस दिन 1971 को पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसमपर्ण कर दिया था और बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।
आरएसएस काशी प्रांत के प्रचारक रणवीर सिंह ने 'द प्रिंट' से कहा,
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हमने राष्ट्रवाद की भावना को जागृत करने के लिए कार्यक्रम करने का निर्णय किया है और इसके लिए गाँव, पंचायत, जिला और राज्य स्तर पर कमेटियाँ गठित की हैं।
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तिरंगा यात्रा
इसके अलावा संघ से जुड़ा संस्कार भारती नुक्कड़ नाटकों का आयोजन करेगा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तिरंगा यात्रा निकालेगा।
तिरंगा यात्रा के तहत एबीवीपी के लोग 30 नवंबर से 15 दिसंबर तक हर ब्लॉक में तिरंगा झंडा लेकर यात्रा निकालेंगे।
इसके अलावा 16 दिसंबर को हर स्कल व कॉलेज में वंदे मातरम का गायन होगा।
आरएसएस अवध प्रांत के प्रचारक कौशल किशोर ने 'द प्रिंट' से कहा, "हर गाँव व कस्बे में भारत माता की पूजा की जाएगी, शोभा यात्रा निकाली जाएगी।"
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसक मक़सद बुंदेलखंड और पूर्वांचल में बीजेपी को मजबूत करना और उसके पक्ष में हवा बनाना है ताकि लोगों तक पार्टी आसानी से पहुँच सके और संघ के लोग बीजेपी को वोट करने को कह सकें।
संघ की रणनीति
इसके पहले जून में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक दिल्ली में हुई थी। । इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित तमाम बड़े पदाधिकारी शामिल हुए थे। बैठक में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव पर चर्चा हुई थी। संघ के सभी सह सरकार्यवाह और कार्यवाहों ने इसमें हिस्सा लिया था।
उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर कुछ दिन पहले भी संघ ने बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाक़ात की थी। यह बैठक इतनी अहम थी कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और उत्तर प्रदेश बीजेपी के संगठन (महामंत्री) सुनील बंसल भी बैठक में शामिल रहे थे। कहा गया था कि कोरोना काल के दौरान जनता के बीच बनी धारणा को लेकर बीजेपी और संघ ने चिंता जताई थी।
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