कोरोना के चलते उत्तर प्रदेश में वसूली, कुर्की की कार्रवाई पर उच्च न्यायालय ने रोक दी है। इसके साथ ही सार्वजनिक संपत्ति क्षति पर योगी सरकार के अध्यादेश के ख़िलाफ़ याचिका उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर ली है। इन सबके बाद नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए विरोधी हिंसा के आरोपियों को नोटिस, कुर्की, वसूली, मुक़दमों का सिलसिला रुका नहीं है।
कोरोना के चलते सभी वसूली पर कोर्ट की रोक, फिर भी होर्डिंग मामले में वसूली जारी
- उत्तर प्रदेश
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- 19 Mar, 2020

कोरोना के चलते उत्तर प्रदेश में वसूली, कुर्की की कार्रवाई पर उच्च न्यायालय ने रोक दी है। इन सबके बाद नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए विरोधी हिंसा के आरोपियों को नोटिस, कुर्की, वसूली, मुक़दमों का सिलसिला रुका नहीं है।
उत्तर प्रदेश में सीएए के विरोध में हुई हिंसा के चलते सार्वजनिक नुक़सान के लिए आरोपियों से जुर्माना वसूलने को लगायी गयी होर्डिंग पर उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेकर छुट्टी के दिन सुनवाई की थी। अदालत ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पूछा था कि किस क़ानून के तहत होर्डिंग लगायी गयी और इसे हटाकर 16 मार्च तक कंप्लायंस रिपोर्ट देने को कहा था। अपनी ज़िद पर आमादा उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उच्च न्यायालय के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट गयी जहाँ से उसे कोई राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने मामला तीन जजों की बेंच को सौंप दिया। हालाँकि इसके बाद भी कंप्लायंस वाले दिन योगी सरकार ने उच्च न्यायालय में शपथपत्र दाखिल कर समय माँगा और मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की दलील दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसी आधार पर सरकार को 10 अप्रैल तक का समय भी दे दिया है।