तीन सालों से दलितों से जुड़े मुद्दों पर लड़ रहे भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ ने रविवार को कांशीराम जयंती के मौक़े पर अपनी सियासी पारी की शुरुआत कर ही दी। क्या भीम आर्मी प्रमुख के सक्रिय राजनीति में आने से बीएसपी सुप्रीमो मायावती की मुसीबतें बढ़ सकती हैं?