उत्तर भारत में दलितों की आवाज़ बनकर उभरीं मायावती पर ये आरोप बीते दो सालों से लग रहे थे कि वह बीजेपी के प्रति नरम हैं या उनकी अंदरखाने उससे कोई साठगांठ है। उत्तर प्रदेश में जनहित के कई मुद्दों पर चुप्पी साध लेने वालीं मायावती की पार्टी के नेता इन आरोपों को नकारते रहे लेकिन राज्यसभा चुनाव 2020 में साफ हो गया कि ये आरोप पूरी तरह सही थे और बीजेपी-बीएसपी का ‘सियासी प्रेम’ खुलकर सामने आ गया है।
एसपी को हराने के लिए बीजेपी को भी वोट देंगे: मायावती
- उत्तर प्रदेश
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- 31 Oct, 2020
उत्तर भारत में दलितों की आवाज़ बनकर उभरीं मायावती पर ये आरोप बीते दो सालों से लग रहे थे कि वह बीजेपी के प्रति नरम हैं या उनकी अंदरखाने उससे कोई साठगांठ है।

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव में जब बीजेपी ने संख्याबल के बावजूद बीएसपी के लिए एक सीट छोड़ी, तो चर्चाएं तेज हो गयीं। लेकिन मायावती की पार्टी के विधायक इससे बिफर गए और बग़ावत कर दी।
बीएसपी के राज्यसभा प्रत्याशी के प्रस्तावक पांच विधायकों ने बुधवार को अपना प्रस्ताव वापस ले लिया और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने चले गए। प्रस्तावकों के अलावा बीएसपी के दो और विधायकों ने बगावत की है। बगावत कर अखिलेश के पास पहुंचने वाले विधायक असलम राइनी, असलम अली, मुजतबा सिद्दीकी, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल, वंदना सिंह और हाकिम लाल बिंद रहे।