उत्तर भारत में दलितों की आवाज़ बनकर उभरीं मायावती पर ये आरोप बीते दो सालों से लग रहे थे कि वह बीजेपी के प्रति नरम हैं या उनकी अंदरखाने उससे कोई साठगांठ है। उत्तर प्रदेश में जनहित के कई मुद्दों पर चुप्पी साध लेने वालीं मायावती की पार्टी के नेता इन आरोपों को नकारते रहे लेकिन राज्यसभा चुनाव 2020 में साफ हो गया कि ये आरोप पूरी तरह सही थे और बीजेपी-बीएसपी का ‘सियासी प्रेम’ खुलकर सामने आ गया है।