कृषि क़ानूनों को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमलावर रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है। कृषि क़ानूनों को वापस लेने के केंद्र सरकार के फ़ैसले के बाद प्रियंका ने शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र भेजा है।
इसमें प्रियंका ने लिखा है कि अगर वास्तव में प्रधानमंत्री की किसानों के प्रति नीयत नेक है तो वह केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के साथ मंच साझा न करें और उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें। अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा टेनी के पिता हैं।
प्रियंका ने लिखा है कि वे लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों के परिवारों से मिली हैं और इन परिवारों को अजय मिश्रा टेनी के अपने पद पर बने रहते हुए इंसाफ़ मिलने की आस नहीं है। उन्होंने कहा है कि गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अजय मिश्रा टेनी के साथ मंच साझा कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कुछ दिन पहले अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी को लेकर लखनऊ में मौन व्रत भी रखा था। ख़ुद प्रियंका गांधी मौन व्रत पर बैठी थीं।
कांग्रेस नेता ने मांग की है कि देश भर में किसानों पर दर्ज हुए मुक़दमों को वापस लिया जाए और सभी शहीद किसानों को आर्थिक अनुदान दिया जाए। इससे पहले प्रियंका ने कहा था कि प्रधानमंत्री की नीयत पर भरोसा करना मुश्किल है।
प्रियंका ने शुक्रवार को कहा था, “600 से अधिक किसानों की शहादत, 350 से अधिक दिन का संघर्ष, मोदी जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, तब आपको कोई परवाह नहीं थी।”
कांग्रेस महासचिव ने कहा था कि बीजेपी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा लेकिन तब प्रधानमंत्री चुप रहे। लेकिन अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है।
कांग्रेस की किसान महापंचायतें
किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से ही प्रियंका गांधी लगातार कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की मांग करती रहीं। कांग्रेस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायतें भी की थीं।
प्रियंका ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ‘जय जवान जय किसान’ अभियान चलाया था। यह अभियान 10 दिन तक 27 जिलों में चला था। तब प्रियंका ने किसानों से कहा था, “ये आपकी ज़मीन का आंदोलन है, आप पीछे मत हटिये। हम आपके साथ खड़े हैं, जब तक ये क़ानून वापस नहीं होते तब तक डटे रहिये।”
चुनाव में हार का था डर
निश्चित रूप से कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ जिस तरह का माहौल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बन गया था, उससे इस इलाक़े में और उत्तराखंड और पंजाब में बीजेपी को बड़ा सियासी नुक़सान होना तय माना जा रहा था। ऐसे में मोदी सरकार ने कृषि क़ानून वापस लेना ही बेहतर समझा।
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