उत्तर प्रदेश में 4 चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। तीसरे और चौथे चरण में चुनाव पहुंचने के साथ पुरानी पेंशन योजना अहम मसला बन चुकी है। बैलेट पेपर से मतदान को लेकर कर्मचारियों में खासा उत्साह आया है और तीसरे व चौथे चरण में कर्मचारियों ने तगड़ा मतदान किया है। वहीं निजी क्षेत्र के कर्मचारियों में भी उम्मीद जगी है कि अगर सरकारी कर्मचारियों को सम्मानजनक पेंशन मिलने लगती है तो आगे के चुनावों में निजी कर्मचारियों को भी पेंशन के रूप में एक सुनिश्चित सम्मानजनक धनराशि दिए जाने को लेकर सरकारों पर दबाव बन सकता है।
यूपी में बड़ा चुनावी मसला बन चुकी है पुरानी पेंशन योजना
- उत्तर प्रदेश
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- 24 Feb, 2022

पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा उत्तर प्रदेश के चुनाव में चर्चा में है। कर्मचारी इसे लागू करने की मांग को लेकर कई बार सड़कों पर भी उतर चुके हैं। क्यों चर्चा में है यह मुद्दा?
केंद्र सरकार ने 1 जनवरी, 2004 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की शुरूआत की थी। एनपीएस एक पेंशन सह निवेश योजना है। यह योजना सुरक्षित और विनियमित बाजार आधारित रिटर्न के जरिए सेवानिवृत्ति का लाभ देती है।
इस योजना का विनियमन पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा किया जाता है। पीएफआरडीए द्वारा स्थापित राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास एनपीएस के अंतर्गत सभी जमा राशियों का मालिक है।
इस योजना का विनियमन पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा किया जाता है। पीएफआरडीए द्वारा स्थापित राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास एनपीएस के अंतर्गत सभी जमा राशियों का मालिक है।