क्या 2013 की मुज़फ़्फ़रनगर हिंसा में पीड़ित लोगों को न्याय मिला? और यदि मिला तो कितना मिला? इन सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में मिल सकते हैं। 2017 के बाद से मुज़फ़्फ़रनगर की अदालतों ने दंगों से जुड़े 41 मामलों में फ़ैसले सुनाए हैं। इनमें से 40 मामलों में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। हत्या के सिर्फ़ एक मामले में सजा सुनाई गई है। बरी होने के सभी 40 मामले मुसलिमों पर हमले से जुड़े हैं। अदालतों ने जनवरी 2017 और फ़रवरी 2019 के बीच हत्या के 10 मामलों में फ़ैसला सुनाया जिनमें अधिकतर गवाह मुकर गए। ये गवाह वे थे जो मारे गए लोगों के क़रीबी रिश्तेदार थे। इस आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। यानी इन 40 मामलों में हत्याओं, दंगे, बलात्कार करने का कोई दोषी ही नहीं है। बता दें कि 2013 में मुज़फ़्फ़रनगर में हुई हिंसा में कम से कम 65 लोगों की हत्या हुई थी।