पिछले हफ़्ते सर्वोच्च न्यायालय ने ‘भीड़ न्याय’ के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ दिखाया तो लेकिन घटनाएँ बढ़ गयीं। ऐसा क्यों हुआ? क्यों अपराधियों को सज़ा नहीं मिल पा रही है, उनको किनका संरक्षण मिल रहा है?
मुज़फ़्फ़रनगर दंगे में गैंगरेप के किसी आरोपी को भी सज़ा नहीं हुई। आख़िर क्यों एक के बाद एक गवाह और पुलिस अधिकारी मुकरते गए, पीड़ितों को डराने-धमकाए जाने का आरोप लगते रहे और सभी आरोपी बरी हो गए?