उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि बीजेपी मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ेगी। बता दें कि मैनपुरी की सीट समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है। इस सीट पर आने वाले कुछ महीनों में उपचुनाव होगा और बीजेपी ने यह कहकर कि वह यहां पूरी तैयारी और रणनीति बनाकर चुनाव लड़ेगी, अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं।
निश्चित रूप से मुलायम सिंह यादव जैसे बड़े कद के नेता के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर चुनावी दंगल भी जोरदार होगा।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी कहा है कि मैनपुरी में इस बार कमल खिलेगा। मौर्य ने कहा कि हम सभी मुलायम सिंह यादव की इज्जत करते हैं और 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा था कि वह मैनपुरी में चुनाव प्रचार नहीं करेंगे।
कौन होगा बीजेपी का उम्मीदवार?
बीजेपी ने साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट से सपा से बीजेपी में आए वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था। तब मुलायम सिंह यादव को 5,24,926 जबकि प्रेम सिंह शाक्य को 4,30,537 वोट मिले थे। लेकिन इस बार बीजेपी का उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं।
मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव के जीवित रहते हुए कहा था कि अगर मुलायम 2024 में मैनपुरी से चुनाव नहीं लड़ेंगे तो वह इस सीट से अपनी सियासी किस्मत आजमाएंगे। साफ है कि शिवपाल यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
आजमगढ़ और रामपुर की जीत
कुछ महीने पहले हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी। यह दोनों ही सीटें अखिलेश यादव और सपा के दिग्गज नेता आजम खान के विधानसभा का सदस्य चुने जाने से खाली हुई थी।
मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश में 3 दिन के राजकीय शोक का एलान किया गया था और और उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया था।
2022 के विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह शिवपाल सिंह यादव की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ी हैं, उसे लेकर इस तरह की भी चर्चाएं हैं कि बीजेपी इस सीट से शिवपाल सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतार सकती है।
यादव मतदाता निर्णायक
मैनपुरी की सीट पर 35 फीसदी यादव मतदाता हैं जबकि अन्य 65 फीसदी में शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय के मतदाता हैं। निश्चित रूप से इस सीट पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इसलिए इस तरह की चर्चा है कि बीजेपी यहां से शिवपाल सिंह यादव को उम्मीदवार बनने का ऑफर दे सकती है। बताना होगा कि मैनपुरी से लेकर इटावा, औरैया, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद तक यादव मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है और निश्चित रूप से बीजेपी यादव समुदाय के किसी नेता पर ही दांव लगाना सही समझेगी।
सपा किसे देगी टिकट?
क्योंकि बीजेपी ने इस बात का एलान कर दिया है कि वह मैनपुरी का चुनाव पूरी तैयारी के साथ लड़ेगी इसलिए अखिलेश यादव के सामने इस सीट पर जीत हासिल करने की चुनौती है। निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में जल्द होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव और उसके बाद मुंह सामने खड़े 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव में जीत हासिल करना अखिलेश यादव के लिए बेहद जरूरी होगा।
बात सपा के उम्मीदवारों की करें तो ऐसा हो सकता है कि अखिलेश यादव यहां से शिवपाल सिंह यादव को बतौर सपा उम्मीदवार मैदान में उतार दें। यह भी कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव या बदायूं के पूर्व सांसद और अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को भी सपा यहां से उम्मीदवार बना सकती है। इसे लेकर तमाम तरह की चर्चाएं सियासी गलियारों में हैं।
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