संयुक्त किसान मोर्चा 5 सितंबर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में किसान महापंचायत करने जा रहा है। इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की गई हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र सहित दक्षिण के भी राज्यों से किसान इस महापंचायत में आएंगे। बता दें कि किसान पिछले 10 महीने से दिल्ली के बॉर्डर्स पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वह इस महापंचायत के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जनसंपर्क करेगा और मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लोगों को एकजुट करेगा। निश्चित रूप से यह बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाएगा क्योंकि इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और 6 महीने के अंदर इन राज्यों में चुनाव होने हैं।
यह महापंचायत मुज़फ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज में होगी। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से गाड़ियों की पार्किंग, महापंचायत वाली जगह पर पहुंचने से जुड़े ज़रूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अलावा भी तमाम तरह की तैयारियां की जा रही हैं।
जिला प्रशासन सतर्क
इतने बड़े कार्यक्रम के आयोजन को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी चौकसी बढ़ा दी है। कई जिलों की पुलिस फ़ोर्स मुजफ़्फरनगर में भेजी जा रही है और वरिष्ठ अफ़सर ख़ुद मौक़े पर पहुंचकर सुरक्षा से जुड़े इंतजामों का जायजा ले रहे हैं।
महापंचायत के बाद अक्टूबर व नवंबर में उत्तर प्रदेश के 17 और उत्तराखंड के 2 मंडलों में बैठकें होंगी। इसे ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ नाम दिया गया है।
किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा था कि हम लोगों को बताएंगे कि किसान पिछले कई महीनों से दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे हुए हैं और यह बात उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की बीजेपी सरकारों के ख़िलाफ़ माहौल बनाने का काम करेगी।
किसान नेता राकेश टिकैत इस महापंचायत को लेकर काफी सक्रिय हैं। उन्होंने बीते दिनों में कई जगहों पर प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर किसानों से इस महापंचायत में आने की अपील की है। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, योगेंद्र यादव सहित बाक़ी नेता भी इस महापंचायत के आयोजन की तैयारियों में जुटे हैं।
बीजेपी और मोदी सरकार के लिए मुश्किल यह भी है कि आरएसएस से जुड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने एलान किया है कि वह कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ व कुछ अन्य मुद्दों को लेकर 8 सितंबर को पूरे देश में धरना देगा।
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