क्या उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार उन पत्रकारों को निशाने पर ले रही है, जिन्होंने हाथरस बलात्कार व हत्याकांड पर उसकी इच्छा के ख़िलाफ़ काम किया था? या यह माना जाए कि यह वाकई अंतरराष्ट्रीय साजिश थी और साजिश रचने वालों में से कुछ लोग पत्रकार के वेश में काम कर रहे थे?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि हाथरस जा रहे रास्ते में ही हिरासत में लिए गए एक पत्रकार पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने राजद्रोह का मामला दायर किया है। पुलिस ने सोमवार को पत्रकार समेत 4 लोगों को गिरफ़्तार किया था। उसने बुधवार को उन चारों पर राजद्रोह का मामला दायर किया है।
इन लोगों पर आतंकवाद-विरोधी धाराएं लगाई गई हैं और अनलॉफुल एक्टिविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट यानी यूएपीए भी लगा दिया गया है। पुलिस ने यूएपीए का सब-सेक्शन 17 लगाया है, जो आतंकवाद के लिए पैसे एकत्रित करने से जुड़ा हुआ है।
आरोप क्या हैं?
उत्तर प्रदेश पुलिस ने जो एफ़आईआर दर्ज की है, उसमें यह कहा गया है कि ये लोग 'सीएएआरडी.कॉम' नामक वेबसाइट चला रहे थे, उससे अपारदर्शी तरीके से पैसा एकत्रित किया जा रहा था और उस वेबसाइट से दंगा भड़काने की कोशिश की जा रही थी।पुलिस ने कहा है कि उसे यह जानकारी मिली थी कि कुछ संदिग्ध लोग दिल्ली से हाथरस जा रहे है और उसने उन्हें बीच में ही रोक लिया। ये चार लोग थे- अतीक-उर-रहमान, सिद्दिक़ कप्पन, मसूद अहमद और आलम। पुलिस ने उन्हें मथुरा के पार से हिरासत में लिया था।
पुलिस का यह भी कहना है कि उनके पास से मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप कंप्यूटर और कुछ साहित्य बरामद हुआ था, जिससे राज्य की क़ानून व्यवस्था और शांति व सद्भाव बिगड़ सकता था।
निशाने पर पत्रकार?
सिद्दिक कप्पन पत्रकार हैं और वह केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव हैं। केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने एक बयान में कहा था, 'वह सोमवार सुबह हाथरस गए थे।' मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित बयान में कहा गया था कि उन्हें तत्काल रिहा किया जाए।एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने दावा किया है कि पूछताछ के दौरान उन लोगों ने माना है कि उनका संबंध पीएफ़आई और इसके सहयोगी संगठन कैंपस फ़्रंट ऑफ़ इंडिया से है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके पहले कप्पन पर पीएफ़आई से जुड़े होने का आरोप लगाया गया था। इसके जवाब में कप्पन ने आरोप लगाने वाले लोगों को क़ानूनी नोटिस भेजा था।
पीएफ़आई से जुड़े थे तार?
इसके पहले योगी आदित्यनाथ सरकार ने पीएफ़आई को नागरिक क़ानून - नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के ख़िलाफ़ राज्य में विरोध-प्रदर्शन के लिए दोषी ठहराया था। सीएए के ख़िलाफ़ पिछले साल प्रदर्शन हुआ था। सरकार चाहती है कि इसे प्रतिबंधित कर दिया जाए।उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हाथरस की घटना पर 19 एफ़आईआर दर्ज की गई हैं। पुलिस ने घटना को लेकर दर्ज मुख्य प्राथमिकी में राज्य में शांति भंग करने का प्रयास करने, राजद्रोह, षड्यंत्र और धार्मिक घृणा को बढ़ावा देने के प्रयास का आरोप लगाया गया है।
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