उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के बीजेपी विधायक राकेश राठौर ने जो कुछ कहा है, उससे पता चलता है कि राज्य के बीजेपी विधायकों को अपनी बात रखने की कितनी आज़ादी है।
बीजेपी विधायक राठौर ने पत्रकारों से कहा, “बहुत अच्छा चल रहा है, इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। जो सरकार कह रही है, वही ठीक मानो। मैंने कई क़दम उठाए हैं लेकिन विधायकों की हैसियत क्या है। ज़्यादा बोलेंगे तो देशद्रोह, राजद्रोह हम पर भी तो लगेगा।” विधायक उनके इलाक़े में कोरोना के हालात को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
पत्रकारों के यह कहने पर कि क्या विधायक सरकार से अपनी बात तक नहीं कह सकते हैं, विधायक ने कहा कि क्या उन लोगों को लगता है कि विधायक अपनी बात कह सकते हैं। राठौर इससे पहले भी कई बार योगी सरकार की खुलकर आलोचना कर चुके हैं। राठौर 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे और चुनाव जीतकर विधायक बने थे।
‘ताली-थाली बजाकर कोरोना भगाओगे?
पिछले साल अप्रैल में विधायक राठौर का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस ऑडियो में राठौर और बीजेपी के बदायूं के उझानी इलाक़े के नेता जेपी साहू के बीच बातचीत हो रही थी। बातचीत के दौरान विधायक कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में ताली-थाली बजाने को ग़लत बताते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में कोरोना के ख़िलाफ़ जंग लड़ रहे योद्धाओं के लिए ताली-थाली बजाने का आह्वान जनता से किया था।
बातचीत के दौरान विधायक कहते हैं, “ताली बजा के, थाली बजा के आप देश से कोरोना भगा रहे हैं ना। अरे, आप कब जागोगे, मूर्खता का रिकॉर्ड तोड़ दिया है आपने।”
कोरोना काल में या उससे पहले आलोचना करने वालों पर योगी आदित्यनाथ सरकार मुक़दमे दर्ज करवा चुकी है। कई लोगों पर राजद्रोह के मुक़दमे भी दर्ज हो चुके हैं। इसलिए विधायक राठौर ने राजद्रोह लगने का जिक्र किया। इसके अलावा कई लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) के तहत भी कार्रवाई भी की जा चुकी है।
राजद्रोह के क़ानून का दुरुपयोग
उत्तर प्रदेश में राजद्रोह के क़ानून का दुरुपयोग होने की बात सामने आती रही है। पिछले साल अयोध्या स्थित के. एस. डिग्री कॉलेज के छात्रों द्वारा 'हम लेके रहेंगे आज़ादी' का नारा लगाने की वजह से छह छात्रों पर राजद्रोह का मामला दर्ज कर दिया गया था। इतना ही नहीं, इन छात्रों पर एनएसए भी लगा दिया गया था।
एनएसए के दुरुपयोग पर फटकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीते महीने ही योगी सरकार को एनएसए के दुरुपयोग को लेकर फटकार लगाई थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने जनवरी 2018 और दिसंबर 2020 के बीच सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने के जिन 20 मामलों में एनएसए लगाया था, हाई कोर्ट ने उन सबको खारिज कर दिया था। सरकार ने 2018 से 2020 के बीच कुल 534 मामलों में एनएसए लगा दिया था। लेकिन बाद में कई मामलों में उसे इसे वापस लेना पड़ा था।
हाथरस मामले में भी राजद्रोह
हाथरस बलात्कार व हत्याकांड मामले में भी पत्रकार समेत 4 लोगों पर राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज कर दिया गया था। इन लोगों पर आतंकवाद-विरोधी धाराएं और यूएपीए भी लगा दिया गया था। इन 4 लोगों में पत्रकार सिद्दिक़ कप्पन के अलावा अतीक-उर-रहमान, मसूद अहमद और आलम शामिल थे। पुलिस ने इन लोगों को हाथरस जाते वक़्त मथुरा के पास से हिरासत में लिया था।इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में कहा था कि सरकार से अलग राय प्रकट करना राजद्रोह नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला के ख़िलाफ़ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया था।
आलोचना पर थमाया था नोटिस
पिछले साल अगस्त में गोरखपुर के विधायक राधामोहन अग्रवाल को सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करने पर बीजेपी ने नोटिस थमा दिया था। गोरखपुर से सांसद व फ़िल्म अभिनेता रविकिशन ने तो उन्हें पार्टी तक छोड़ देने के लिए कहा था। लेकिन विधायक ने कहा था कि वो अभिमन्यु नहीं अर्जुन हैं, चक्रव्यूह में घुसना और उसे तोड़ना जानते हैं। माना जा रहा है कि राठौर को भी बीजेपी नोटिस भेज सकती है।
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