पाँच दिन गुज़र जाने के बावजूद विकास दुबे का दूर-दूर तक पता नहीं। बीते मंगलवार से बुधवार के बीच यूपी पुलिस ने 8 मोर्चे एक साथ खोले। पहला, उन्होंने बुधवार के तड़के विकास दुबे के एक सहयोगी अमर दुबे को हमीरपुर में मार गिराया। दूसरा, उन्होंने फरीदाबाद में उसके एक भगोड़े साथी को पकड़ लिया है। तीसरा, ‘ऑपरेशन क्लीन' के तहत उसने कानपुर, गौतमबुद्धनगर, आगरा, भदोई, वाराणसी सहित प्रदेश के कई ज़िलों में कथित गैंगस्टरों की धरपकड़ के साथ-साथ कई करोड़ रुपयों की उनकी संपत्ति कुर्क और ज़ब्त करके पूरे प्रदेश में अपराध, अपराधियों और उनकी संपत्ति को ठिकाने लगाने का शंखनाद किया है।
कौन है योगी सरकार का वो ‘मालदार’ मंत्री जिसका हाथ विकास दुबे के सिर पर था?
- उत्तर प्रदेश
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- 8 Jul, 2020

पाँच दिन गुज़र जाने के बावजूद विकास दुबे का दूर-दूर तक पता नहीं। कौन है सरकार का वो ‘मालदार’ मंत्री जिसका हाथ विकास दुबे के सिर पर था?
चौथा, उसने राज्यपाल को अपराध मुक्त प्रदेश की माँग का ज्ञापन देने जाने के 'गंभीर जुर्म' में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व वाले प्रतिनिधि मंडल को बीच राह से उठाकर कई घंटों के लिए हिरासत में रखा। पाँचवाँ, उसने एसटीएफ़ के विवादास्पद डीआईजी सहित समूचे चौबेपुर थाने की पुलिस को स्थानांतरित कर दिया। छठा, जाँच एजेंसियों की संख्या बढ़ा दी गई (40 थानों की 25 टीमें और एसटीएफ़ की एक टीम)। सातवाँ, मुख्य अपराधी का इनाम 1 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख करके अन्य 18 आरोपियों की तलाश को जारी उनके फोटो वाले पोस्टरों से पूरे राज्य को पाट दिया और आठवाँ, उसने कानपुर मीडिया के साथ बैठकर विकास दुबे की फरारी और उसे गिरफ़्त में लेने के अंदाज़-ए-बयान की ऐसी-ऐसी कहानियाँ बुनीं जो सुनने में तो बड़ी दिलचस्प लगती हैं लेकिन जिनका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई ताल्लुक़ नहीं है।