एक नर्स ने आरोप लगाया कि गुरुवार सुबह जालौन जिले में काम पर जाते समय उसके साथ बेरहमी से गैंगरेप किया गया। वह सड़क पर बेहोश पाई गई और उसे जालौन जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया। कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या पर शोर मचाने वाली भाजपा ने यूपी के इस कांड पर चुप्पी साध ली है। टीवी मीडिया भी इस खबर को पी गया है।
जालौन की नर्स का आरोप है कि चुर्खी थाना क्षेत्र के अंतर्गत सूकरखेड़ा मोड़ पर दो लोगों ने चार साथियों की मौजूदगी में उसके साथ दुष्कर्म किया। महिला के पति ने आरोप लगाया कि जाने से पहले इन लोगों ने उसके निजी अंगों में लाल मिर्च पाउडर डाला। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक नर्स का नाम सत्य हिन्दी पर प्रकाशित नहीं किया जा रहा है।
अपर पुलिस अधीक्षक प्रदीप वर्मा ने बताया कि पीड़िता ने अपने बयान में गंभीर आरोप लगाये हैं, जिनकी गंभीरता से जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, “पुलिस पीड़िता या उसके परिवार से शिकायत प्राप्त करने की प्रक्रिया में है और इसके आधार पर एफआईआर दर्ज करेगी।” हालांकि पुलिस घटना को संदिग्ध मान रही है। लेकिन महिला को लगी चोटों के बारे में पुलिस चुप है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एफआईआर में पीड़िता नर्स के बयान के अनुसार, दो लोगों - जिनकी पहचान गोविंद और राम मिलन के रूप में हुई है - ने उसकी पड़ोसी जयंती देवी के निर्देशों पर काम करते हुए उसे जबरन पड़ोसी जंगल में खींच लिया, जहां उन्होंने उसे रोका, शारीरिक रूप से हमला किया और उसका यौन उत्पीड़न किया। जब जंगल में काम कर रहे आसपास के किसान मदद के लिए चिल्लाने लगे तो हमलावर भाग गए।
यूपी में रेप बढ़ा
प्रदेश में महिला विरोधी अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। खासकर रेप और गैंगरेप की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। पुलिस ज्यादातर घटनाओं में कार्रवाई देर से करती है। हाल की घटना इसका उदाहरण है। 28 वर्षीय बलात्कार पीड़िता ने पीलीभीत जिले में एक पुलिस स्टेशन के बाहर जहर खा लिया और इस मामले में "क्लोजर रिपोर्ट" दाखिल करने के लिए पुलिस से भिड़ने के लिए अंदर चली गई। बरेली के एक अस्पताल में कुछ घंटों बाद मौत हो गई। यह घटना 7 नवंबर को सामने आई थी।
अपनी मृत्यु से कुछ क्षण पहले, उसे एक वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता था कि अमरिया के SHO ने उसे जहर खाने के लिए कहा था और उसने आरोपी को बचाने के लिए उससे पैसे लिए थे। वीडियो क्लिप में उसे बार-बार यह कहते हुए सुना गया, "एसएचओ ने मेरी जान ले ली है।" पीलीभीत सर्कल अधिकारी (सदर) विधि भूषण मौर्य ने कहा, "महिला थाना प्रभारी ब्रजवीर सिंह के सामने पेश हुई और उसने दावा किया कि उसने जहर खा लिया है, जिसके बाद स्थानीय पुलिस ने उसे जिला अस्पताल भेज दिया था। जहां उसकी मौत हो गई।" इस मामले को अब दिया गया है।
कानपुर की एक घटना 9 नवंबर को सामने आई। फतेहपुर की एक नाबालिग छात्रा, जो एक प्रमुख कोचिंग संस्थान में अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET की तैयारी के लिए 0आई थी, को कथित तौर पर छह महीने से अधिक समय तक बंधक बनाकर रखा गया और उसके दो शिक्षकों ने रेप किया।
छात्रा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि एक शिक्षक ने इसको रिकॉर्ड किया और वीडियो की सामग्री को सोशल मीडिया पर जारी करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल किया और महीनों तक उसका शोषण किया। वह डिप्रेशन में चली गई और एक साल बाद एफआईआर दर्ज कराई।
“
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध की 28,811 शिकायतें दर्ज कीं और इनमें से लगभग 55 प्रतिशत उत्तर प्रदेश से थीं।
आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 16,109 शिकायतें दर्ज की गईं, इसके बाद दिल्ली में 2,411, महाराष्ट्र में 1,343 शिकायतें दर्ज की गईं।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी पार्टी बीजेपी हर समय चुनाव मोड में रहती है। हर चुनाव को साम्प्रदायिकता के आधार पर लड़ा जाता है। हाल के यूपी उपचुनाव, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान योगी ने ही नारा दिया था- बंटोगे तो कटोगे। बीजेपी में अकेले योगी ही इस तरह का बयान नहीं देते हैं। पीएम मोदी ने इन्हीं चुनाव के दौरान नारा दिया था- एक हैं तो सेफ हैं। इसमें हिन्दुओं के एकजुट होने का आह्वान किया गया था। यूपी समेत तमाम बीजेपी शासित राज्यों के लिए महिला विरोधी अपराध रोकना, बेहतर कानून व्यवस्था प्राथमिकता नहीं है। उनके लिए चुनाव जीतना पहली प्राथमिकता है।
अपनी राय बतायें