पूर्व भाजपा विधायक उदय भान करवरिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के चार साल बाद ही जेल से रिहाई तय हो गई है। उनको समाजवादी पार्टी के एक विधायक की हत्या जैसे जघन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। लेकिन राज्य सरकार ने उनकी समयपूर्व रिहाई का आदेश दिया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनकी दया याचिका को मंजूरी दे दी है।
किस आधार पर समयपूर्व उनकी रिहाई का फ़ैसला दिया गया है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर यह अपराध कितना जघन्य था। 1996 में सपा विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में एके-47 राइफलों से उनके वाहन पर गोलीबारी करके हत्या कर दी गई थी। इस हमले में जवाहर यादव के ड्राइवर गुलाब यादव समेत दो अन्य लोगों की भी मौत हो गई थी। पुलिस जांच में पाया गया कि हत्या राजनीतिक और व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता का नतीजा थी।
4 नवंबर 2019 को प्रयागराज की एक अदालत ने जवाहर यादव की हत्या के मामले में उदय भान (55), उसके भाइयों सूरज भान और कपिल मुनि और उनके चाचा राम चंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में इसी अदालत ने भाइयों के खिलाफ हत्या का मामला वापस लेने की राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था। सूरज भान बहुजन समाज पार्टी के पूर्व एमएलसी हैं और कपिल मुनि बसपा के पूर्व सांसद हैं। वे वर्तमान में उदय भान के साथ प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं।
उदय भान ने प्रयागराज की बारा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर 2002 और 2007 का विधानसभा चुनाव जीता था। उदय भान की पत्नी नीलम करवरिया ने प्रयागराज की मेजा विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, नीलम 2022 का विधानसभा चुनाव सपा के संदीप सिंह से मामूली अंतर से हार गईं, उन्होंने फिर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा।
जवाहर यादव की पत्नी और चार बार विधायक रह चुकीं विजयमा यादव ने कहा कि वह राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ अदालत जाएंगी। प्रयागराज की प्रतापपुर सीट से सपा के टिकट पर 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने वाली विजयमा यादव ने कहा, 'अगर यह सरकार तिहरे हत्याकांड के दोषियों को रिहा करती है तो उन्हें जेल में बंद अन्य दोषियों को भी रिहा कर देना चाहिए। अगर तिहरे हत्याकांड के दोषियों को इतनी कम सजा काटने के बाद रिहा किया जाता है तो सरकार क्या संदेश देना चाहती है? मुझे कभी नहीं लगा कि उन्होंने जेल में आजीवन कारावास की सजा काटी है।'
यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी द्वारा एक हत्या के मामले में काटे जा रहे आजीवन कारावास की सजा को माफ करने के आदेश के लगभग एक साल बाद आया है।
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