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बाबूलाल चौधरी

फतेहपुर सीकरीः मतदान से पहले भाजपा को बगावत याद आई, जाट विधायक को अब नोटिस

यूपी में फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर  कल 7 मई को मतदान होगा। लेकिन भाजपा ने फ़तेहपुर सीकरी विधायक बाबूलाल चौधरी को उससे ठीक पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया है। क्योंकि चौधरी का बेटा फ़तेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरा है। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चाहर हैं। चाहर ने 2019 में यह सीट जीती थी। 
पीटीआई के मुताबिक भाजपा ने बाबूलाल चौधरी को अनुशासनात्मक कार्रवाई  की चेतावनी दी है। भाजपा के प्रदेश महासचिव गोविंद नारायण शुक्ला कहा कि विधायक चौधरी से सोमवार शाम 5 बजे तक जवाब मांगा गया है। लेकिन सारे मामले में दिलचस्प बात यही है कि भाजपा आलाकमान को अब जाकर पता चला कि यहां भाजपा विधायक का बेटा रामेश्वर चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ रहा है। भाजपा महासचिव शुक्ला ने कहा कि हमने रामेश्वर चौधरी को 2 मई को नोटिस दिया था, बाद में उन्हें पार्टी से निकाल दिया।

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बाबूलाल चौधरी को 2014 में भाजपा ने टिकट दिया था और वे चुनाव जीतकर फतेहपुर सीकरी से सांसद बन गए। लेकिन 2019 में जब कांग्रेस ने यहां से राजब्बर को मैदान में उतारा तो भाजपा ने चौधरी की जगह चाहर को उतारा। 2019 में चाहर ने ही राज बब्बर पर जीत हासिल की। बाबूलाल चौधरी भाजपा में हाशिए पर चले गए। 

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बाबूलाल चौधरी को भाजपा ने टिकट दिया और वो एमएलए बन गए। लेकिन चौधरी की महत्वाकांक्षा में कमी नहीं आई। दरअसल, वो खुद लोकसभा लड़ना चाहते थे और बेटे को विधानसभा लड़ाना चाहते थे। उन्होंने टिकट भी मांगा लेकिन भाजपा ने अपने 2019 के प्रत्याशी को रिपीट कर दिया।

जाट नेता हैं बाबूलाल चौधरी

बाबूलाल चौधरी फतेहपुर सीकरी और आगरा इलाके में बतौर जाट नेता स्थापित हैं। 1990 में पनवाड़ी गांव में एक दलित बारात आ रही थी। इलाके के जाटों और राजपूतों को दलित दूल्हे के घोड़ी पर बैठकर आने पर आपत्ति थी। बारात पर एक भीड़ ने हमला कर दिया। दलितों पर काफी अत्याचार हुए। कई दलित गांव छोड़कर भाग गए। उस समय बाबूलाल चौधरी ब्लाक स्तर के भाजपा नेता थे। उनका नाम इस कांड में प्रमुखता से उभरा। 1996 में चौधरी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा जीत गए। इसके बाद 2002 में उन्होंने आरएलडी टिकट पर चुनाव लड़ा जीत गए। फिर अगला विधानसभा चुनाव हार गए। लेकिन हारने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। 2014 में भाजपा के पास प्रत्याशियों का अकाल भी था। इस वजह से भाजपा ने बाबूलाल चौधरी के पुराने बैकग्राउंड की वजह से लोकसभा चुनाव टिकट दे दिया और चौधरी जीत गए। 2022 में बाबूलाल चौधरी उस दलित कांड के मुकदमे में बरी हो गए, जो उन पर चल रहा था। 
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चौधरी समर्थकों का फतेहपुर सीकरी में कहना है कि पार्टी हमसे है। अगर पार्टी हमारी नहीं सुनेगी तो हम क्यों उसकी सुनें। 2024 में भाजपा हारने जा रही है, इसलिए चौधरी साहब ने अपने बेटे को निर्दलीय खड़ा कर दिया था। ताकि वो चुनाव जीते और भाजपा सरकार बनने पर मोदी जी को मजबूत करे। लेकिन भाजपा ने अब उन्हीं बाबूलाल चौधरी को मतदान से एक दिन पहले कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। भाजपा के नोटिस की वजह से फतेहपुर सीकरी में भाजपा की अंदरुनी कलह भी सामने आ गई है। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व फौजी रामनाथ सिकरवार को उतारा है। सिकरवार ने करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। उनकी स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है।
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क़मर वहीद नक़वी
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