इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि गाय भारत की संस्कृति का अहम हिस्सा है और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। अदालत ने यह बात जावेद नाम के शख़्स की जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान कही। जावेद पर गोहत्या रोकथाम क़ानून की धारा 3, 5 और 8 के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था।
59 साल के जावेद को संभल जिले से गिरफ़्तार किया गया था और इस साल मार्च में उसे गो हत्या के आरोप में जेल भेज दिया गया था।
जस्टिस शेखर कुमार यादव की एकल पीठ वाली बेंच ने कहा कि सरकार को गायों को मौलिक अधिकार देने के लिए संसद में बिल पास करना चाहिए।
जस्टिस यादव ने कहा, “गो रक्षा का काम केवल किसी एक संप्रदाय का नहीं है बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का काम देश के हर नागरिक का है, फिर चाहे उसका धर्म कुछ भी हो।” क़ानूनी ख़बरें देने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच के मुताबिक़, जस्टिस ने कहा, “जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा।”
जस्टिस यादव ने कहा कि भारत ही एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं, जो अलग-अलग ढंग से पूजा करते हैं लेकिन देश के लिए उनके विचार एक जैसे हैं। उन्होंने कहा, “गाय को भारत के प्राचीन ग्रंथों जैसे वेदों और महाभारत में भी एक अहम हिस्से के रूप में दिखाया गया है।”
उन्होंने कहा, “मौलिक अधिकार केवल उन लोगों के नहीं हैं जो गो मांस खाते हैं बल्कि उन लोगों के भी हैं जो गाय की पूजा करते हैं और उस पर आर्थिक रूप से निर्भर हैं।”
बार एंड बेंच के मुताबिक़, जस्टिस ने आगे कहा, “ऐसे हालात में जब हर कोई भारत को एकजुट करने के लिए क़दम आगे बढ़ाता है और इसकी आस्था का समर्थन करता है तो कुछ लोग जिनकी आस्था और विश्वास देश के हित में नहीं है, ऐसे लोग इस तरह की बातें करके देश को कमज़ोर करते हैं।”
जस्टिस यादव ने कहा कि हालात को देखते हुए याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ अपराध सिद्ध होता है।
जमानत की अर्जी खारिज
जावेद ने अदालत से जमानत देने की मांग की थी। लेकिन अदालत ने जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया। जावेद पर आरोप है कि वह पहले भी इस तरह के कामों में शामिल रहा है। अदालत ने कहा कि अगर उसे जमानत दे दी जाती है तो इससे बड़े पैमाने पर समाज का सद्भाव बिगड़ सकता है।
अदालत ने लगाई डांट
जस्टिस यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गो शालाएं बनाई हैं लेकिन जिन लोगों पर गाय की देखभाल की जिम्मेदारी होती है, वे इस काम को नहीं करते।
अदालत ने कहा कि जो प्राइवेट गो शालाएं चल रही हैं, वे भी दिखावा करती हैं। इन गो शालाओं को चलाने वाले लोग जनता और सरकार से दान ले लेते हैं लेकिन इसे अपने फ़ायदे के लिए खर्च करते हैं और गाय की देखभाल नहीं करते।
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