पेट्रोल-डीजल और एलपीजी गैस के सिलेंडर की क़ीमतों में बढ़ोतरी पर एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू ने उसे चेताया है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने बुधवार को केंद्र सरकार से मांग की है कि वह एलपीजी सिलेंडर की क़ीमतों में की गई बढ़ोतरी को वापस ले।
बुधवार को ही सिलेंडर की क़ीमत में 25 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले 18 अगस्त को भी 25 रुपये बढ़ा दिए गए थे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले में मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। राहुल गांधी ने कहा है कि गैस की क़ीमत पिछले आठ महीने में 9 बार बढ़ी है।
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव त्यागी ने एनडीटीवी से कहा, “पेट्रोलियम उत्पादों की क़ीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। देखिए कि आज पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमत कहां पहुंच गई है। इससे रसोई के बजट पर सबसे बुरा असर पड़ा है और यह बेहद चिंताजनक बात है।”
त्यागी ने आगे कहा, “सहयोगी दल होने के नाते हम सरकार को यह सुझाव देना चाहते हैं कि जो हालिया बढ़ोतरी की गई है, उसे वापस ले लिया जाए क्योंकि आने वाले महीनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।” उन्होंने कहा कि हमारे राजनीतिक विरोधी इसे इन चुनावों में हमारे ख़िलाफ़ हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
दबाव बना रही जेडीयू
इससे पहले पेगासस जासूसी के मामले में भी जेडीयू ने विपक्ष के सुर में सुर मिलाया था और ख़ुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि इस मामले में जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा जाति जनगणना के मुद्दे पर भी जेडीयू ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाया है और ख़ुद नीतीश कुमार इस मामले में बिहार के कई नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुके हैं।
‘116 फ़ीसदी क़ीमत बढ़ी’
उधर, राहुल गांधी ने बुधवार को की गई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा, “2014 में एलपीजी सिलेंडर की क़ीमत 410 रुपये थी जबकि आज यह 885 रुपये है। पेट्रोल की क़ीमत 71.50 रुपये प्रति लीटर थी, यह आज 101 रुपये है, डीज़ल की क़ीमत 57 रुपये थी, आज 88 रुपये प्रति लीटर है। इस तरह सिलेंडर की क़ीमत 116 फ़ीसदी, पेट्रोल की क़ीमत 42 फ़ीसदी और डीज़ल की क़ीमत 55 फ़ीसद बढ़ी है।”
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जनता में जबरदस्त नाराज़गी
इस मामले में विपक्ष तो मोदी सरकार पर हमलावर है ही, आम जनता भी सरकार को जमकर खरी-खोटी सुना रही है। लोगों का कहना है कि विपक्ष में रहते हुए बीजेपी पेट्रोल-डीजल की बढ़ी क़ीमतों पर ख़ूब हाय-तौबा करती थी लेकिन सरकार में आने के बाद से उसे इस मुद्दे पर मुंह खोलना भी गवारा नहीं है।
जेडीयू की ओर से इस मांग के आने के बाद हो सकता है कि एनडीए में शामिल कुछ और दल भी ऐसी मांग रखें क्योंकि केंद्र सरकार में सहयोगी होने के नाते उन्हें भी अवाम की नाराज़गी का सामना करना पड़ रहा है।
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