आखिरकार कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपने नए प्रदेश अध्यक्ष का एलान कर ही दिया। पार्टी ने बृजलाल खाबरी को उत्तर प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। खाबरी के साथ ही 6 प्रांतीय अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। बताना होगा कि उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से इस्तीफा ले लिया था।
उसके बाद से ही इस बात का इंतजार किया जा रहा था कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन बनेगा।
बृजलाल खाबरी को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा का भरोसेमंद माना जाता है और यह तय था कि उत्तर प्रदेश के नये अध्यक्ष के चयन में पार्टी नेतृत्व प्रियंका गांधी की पसंद को ही अहमियत देगा।
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बृजलाल खाबरी दलित समुदाय से आते हैं और विधानसभा चुनाव में उन्होंने ललितपुर की महरौनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस ने जिन छह नेताओं को प्रांतीय अध्यक्ष नियुक्त किया है उनमें फरेंदा महाराजगंज सीट से विधायक वीरेंद्र चौधरी, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रशासन प्रभारी योगेश दीक्षित, इटावा के अनिल यादव, नकुल दुबे बसपा से कांग्रेस में आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अजय राय का नाम शामिल है।
कई नेता थे दौड़ में
बीते दिनों में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए आचार्य प्रमोद कृष्णम, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री, पूर्व सांसद पीएल पूनिया आदि नेताओं के नाम भी चर्चा में थे।
क्योंकि कांग्रेस प्रमोद तिवारी के रूप में एक ब्राह्मण चेहरे को राज्यसभा भेज चुकी थी इसलिए यह लगभग तय माना जा रहा था कि पार्टी दलित समुदाय के किसी नेता पर दांव लगाएगी।
खराब रहा प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जमकर चुनाव प्रचार किया लेकिन वह फ्लॉप साबित हुईं। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली और ढाई फीसद वोट ही मिले। निश्चित रूप से पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। हालांकि उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष रहे अजय कुमार लल्लू ने भी पार्टी के लिए काफी मेहनत की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
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उत्तर प्रदेश में लंबे वक्त तक एकछत्र राज करती रही कांग्रेस बीते 32 साल से सूबे की सत्ता से बाहर है। जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह जैसे युवा नेता भी प्रदेश में पार्टी से किनारा कर चुके हैं। ऐसे में इतने बड़े प्रदेश में संगठन को चलाने के लिए पार्टी को ऐसा नेता चाहिए जो पार्टी के निराश व हताश कार्यकर्ताओं में जान फूंक सके व संगठन को सक्रिय रखे। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास लोकसभा की सिर्फ एक सीट है और ऐसा नहीं लगता कि वह प्रदेश में फिर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है।
राहुल गांधी भी हारे
केंद्र में यूपीए की सरकार के दौरान राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जिंदा करने के लिए काफी मेहनत की थी और इसका कुछ असर लोकसभा चुनाव 2009 में दिखाई भी दिया था। लेकिन उसके बाद कांग्रेस फिर से पस्त होती चली गई और 2019 में वह सिर्फ रायबरेली सीट जीत सकी और राहुल गांधी खुद अमेठी की सीट से चुनाव हार गए।
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