उत्तर प्रदेश में हो रहे ताबड़तोड़ अपराध इस बात की गवाही देते हैं कि यहां जंगलराज जैसे हालात बन चुके हैं। बलात्कार, अपहरण, लूटपाट के लगातार बढ़ते मामलों के कारण आम इंसान दहशत के माहौल में जीने को मजबूर है। आम आदमी की सुनवाई की बात तो छोड़िए, इंसाफ़ की ये हालत है कि योगी सरकार के आला हुक्मरान चीख-चीखकर कह रहे हैं कि हाथरस में पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ है जबकि पीड़िता का मौत से पहले का बयान है कि उसके साथ हैवानियत को अंजाम दिया गया है।
ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में अपराध की ख़बरों को लिखते-लिखते ख़बरनवीस थक जाएंगे, अख़बारों की स्याही ख़त्म हो जाएगी लेकिन जरायम की दुनिया से ऐसी ख़बरें लगातार आती रहेंगी क्योंकि ‘ठोको नीति’ पर चल रही योगी सरकार के कामकाज को देखकर नहीं लगता कि वह अपराध को रोक सकती है।
एक बड़ी घटना बलिया के दुर्जनपुर गांव में हुई है। बलिया में सरकारी राशन कोटे की दुकान के लिए जिला प्रशासन की मौजूदगी में कार्यक्रम चल रहा था। मौक़े पर एसडीएम, सीओ और कई थानों की पुलिस मौजूद थी।
कार्यक्रम के दौरान अफ़सरों के सामने ही एक दबंग ने गोली मारकर एक शख़्स को मौत के घाट उतार दिया। मौक़े पर कई लोग मौजूद थे, जिनमें अफरा-तफरी मच गई। घटना का वीडियो वायरल हो गया है। गोली चलाने वाला शख़्स बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह का करीबी बताया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आत्मचिंतन करना चाहिए कि जब उनके अफ़सरों के सामने, दिनदहाड़े किसी शख़्स की हत्या हो सकती है तो क्या अब भी वह अपनी जवाबदेही तय करेंगे या इसमें भी साज़िश का कोई एंगल लेकर आएंगे?
ख़ैर, हरक़त में आते हुए मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद रहे अफ़सरों को सस्पेंड करने का हुक्म सुना दिया है। विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि अभियुक्त बीजेपी की भूतपूर्व सैनिकों की बलिया की इकाई का प्रमुख है। विधायक ने यह भी कहा कि ऐसी घटना कहीं भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस घटना में दोनों ओर से पत्थरबाज़ी हुई।
मृतक के भाई की शिकायत पर 15-20 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि इस मामले में अफ़सरों की भूमिका की भी जांच की जाएगी और सख़्त कार्रवाई होगी। हालात को देखते हुए गांव में पुलिस बल की तैनाती की गई है।
घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी की सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि इस घटना और महिलाओं व बच्चियों पर आये दिन हो रहे उत्पीड़न से यह स्पष्ट हो जाता है कि यहां कानून-व्यवस्था दम तोड़ चुकी है।
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