समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान को हेट स्पीच के एक मामले में 3 साल की सजा सुनाई गई है। इससे पहले अदालत ने उन्हें इस मामले में दोषी करार दिया था। यह मामला साल 2019 का है। उत्तर प्रदेश में रामपुर की एक अदालत ने यह फैसला सुनाया है। आज़म खान पर अदालत ने 25000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
कहा जा रहा है कि आजम़ खान की विधानसभा सदस्यता भी जा सकती है। क्योंकि नियमों के मुताबिक किसी भी जनप्रतिनिधि को 2 साल या उससे ज्यादा की जेल की सजा सुनाई जाती है तो उसे विधानसभा से इस्तीफा देना पड़ता है।
क्या है मामला?
आज़म खान पर आरोप है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उस वक्त रामपुर के जिलाधिकारी रहे आन्जनेय कुमार सिंह के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी की थी। तब इसके चलते आज़म खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
इंसाफ का कायल हूं: आज़म
अदालत के फैसले के बाद आज़म खान ने कहा कि उनके पास अभी दरवाजे खुले हैं और वह बड़ी अदालत में इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि वह इंसाफ के कायल हैं। आज़म ने कहा कि वह 27 महीने तक जेल की सजा काट चुके हैं और आगे भी जीवन में संघर्ष करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला सभी को मान्य होना चाहिए और वह भी इस फैसले को स्वीकार करते हैं।
90 मुकदमे
आज़म खान के खिलाफ कुल मिलाकर 90 मुकदमे दर्ज हैं। इसमें चोरी व भ्रष्टाचार से जुड़े मामले हैं। आज़म खान को सजा सुनाए जाने को लेकर अदालत के आसपास सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई थी। निश्चित रूप से पहले से ही कई मुकदमों का सामना कर रहे आज़म खान की मुश्किलें अदालत के इस फैसले के बाद और बढ़ेंगी।
रामपुर उपचुनाव में मिली थी हार
रामपुर से आने वाले आज़म खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और 2 साल से ज्यादा वक्त तक जेल में रहने के बाद इस साल मई के महीने में वह बाहर आए थे। वह उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल में बंद थे। इसके बाद वह रामपुर के उपचुनाव में सक्रिय हुए थे। वह 2019 में यहां से लोकसभा का चुनाव जीते थे लेकिन 2022 में विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। रामपुर के उपचुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी को हार मिली थी।
जुलाई में उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और उनके विधायक बेटे अब्दुल्लाह आज़म को जांच एजेंसी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पूछताछ के लिए तलब किया था।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आज़म खान को मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन के मामले में सुप्रीम कोर्ट से 18 अप्रैल को बड़ी राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस यूनिवर्सिटी को आवंटित भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगा दी थी। 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आते ही यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई थी। सपा ने आरोप लगाया था कि योगी सरकार राजनीतिक बदले की भावना के तहत आज़म खान के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
राज्यपाल से मिले थे अखिलेश
सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले महीने आज़म खान को झूठे मामलों में फंसाने और परेशान करने का आरोप लगाते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बोला था। सपा प्रमुख ने इस मामले में पार्टी नेताओं के साथ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात की थी। अखिलेश ने कहा था कि बीजेपी ने जान-बूझकर आज़म पर झूठे मुक़दमे दर्ज कराए हैं और अफ़सरों को यह छूट देना कि वे किसी नेता के ख़िलाफ़ झूठे मुक़दमे दर्ज करें, यह लोकतंत्र में ग़लत परंपरा है।
साल 2021 में सपा ने आज़म खान की रिहाई के लिए 350 किमी लंबी साइकिल यात्रा निकाली थी। आज़म रामपुर-मुरादाबाद के इलाक़े के बड़े नेता हैं और 10 बार विधायक रह चुके हैं।
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