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अयोध्या में महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट

अयोध्याः हवाई जहाज से उड़कर लोग राम लला के दर्शन करने क्यों नहीं जा रहे?

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से तीन सप्ताह पहले ही अयोध्या हवाई अड्डे का उद्घाटन किया था। उस समय राम मंदिर के शहर में फ्लाइट ऑपरेशन शुरू करने के लिए तमाम एयरलाइंस कंपनियों के बीच होड़ मच गई। 22 जनवरी को जब मोदी ने नए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तब तक महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा देश के लगभग 20 प्रमुख शहरों के लिए दैनिक उड़ानें ऑपरेट कर रहा था। अयोध्या से जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने की बात की जाने लगी और मीडिया में उत्साही लोगों ने अयोध्या एयरपोर्ट को गेम चेंजर बताया और मोदी की सोच के कसीदे पढ़ने लगे।

लेकिन उसके बाद क्या हुआ। गेम चेंजर बताने लापता हैं। सात महीने से भी कम समय में, कम से कम 13 शहरों से दैनिक उड़ानें बंद हो गई हैं। यात्री मांग में कमी के कारण सभी फ्लाइट्स पिछले दो महीनों में बंद हो गईं। इस प्रवृत्ति ने अयोध्या हवाई अड्डे के भविष्य को लेकर तमाम आशंकाएँ बढ़ा दी हैं। एविएशन अधिकारियों ने कम यात्री ट्रैफिक के लिए मॉनसून को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि आने वाले महीनों में स्थिति में सुधार होगा।

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अयोध्या में एविएशन अधिकारी ने बताया कि “कुछ एयरलाइंस जिन्होंने अपनी दैनिक उड़ानें बंद कर दी हैं, उन्होंने साप्ताहिक या सप्ताह में दो बार सेवाएं शुरू कर दी हैं। वर्तमान में, अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु से सीधी उड़ानों का दावा हैं। लेकिन हैदराबाद, पटना, दरभंगा और कलकत्ता जैसे शहरों से दैनिक उड़ानें बंद हैं क्योंकि वहां से यात्री बुकिंग नहीं करा रहे हैं।” हालांकि अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु से आने वाली सीधी उड़ानों में पूरे यात्री नहीं होते। कई बार यात्रियों की कमी के कारण फ्लाइट रद्द तक कर दी गई है और यात्रियों से अगले सप्ताह तक इंतजार करने को कहा जाता है।

फ्लाइट न के बराबर होने का असर यहां खुले फाइव स्टार होटलों के धंधे पर भी पड़ रहा है। कुछ होटल जो अभी खुले भी नहीं हैं, उन्होंने अपनी योजनाओं पर फिर से विचार शुरू कर दिया है। अयोध्या में आने वाले तीर्थयात्री ज्यादातर उत्तर भारत से ही आते हैं। उनका आना-जाना महज राम मंदिर बनने के बाद नहीं हुआ है। वो बहुत पहले से ही आ रहे हैं। लेकिन ऐसे तीर्थ यात्री ट्रेनों को पसंद करते हैं। या फिर वे लखनऊ तक फ्लाइट से आते हैं और वहां से टैक्सी लेकर अयोध्या आते हैं। अयोध्या में जिस ट्रैफिक की उम्मीद दक्षिण भारत से की जा रही थी, वैसा कुछ भी नहीं हुआ।
अधिकारियों ने कहा कि “शुरुआत में, लोगों में राम मंदिर के बारे में उत्सुकता थी और इसलिए वे बड़ी संख्या में पहुंचे। लेकिन वह उत्साह धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में मंदिर शहर में हवाई यात्रियों की संख्या मध्यम लेकिन निरंतर रहेगी।'' प्रधानमंत्री ने पिछले साल 30 दिसंबर को इसका उद्घाटन करने के बाद हवाई अड्डे से शहर तक एक रोड शो किया था। केंद्र और राज्य सरकार ने दावा किया था कि विदेशी पर्यटक अयोध्या आने के लिए उत्सुक हैं। लगभग सभी प्रमुख एयरलाइंस ने अयोध्या के लिए उड़ानें शुरू कीं और कहा कि जल्द ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होंगी।

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योरीरादित्य सिंधिया ने उस समय कहा था कि वर्तमान हवाई पट्टी घरेलू उड़ानों के लिए तैयार है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एक अलग रनवे बनाया जाएगा। इस मकसद के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन सरकार के सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को भारत लाने वाली किसी भी एयरलाइन ने अयोध्या के लिए उड़ान भरने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

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अयोध्या हवाई अड्डे के निदेशक विनोद कुमार गर्ग ने संवाददाताओं से कहा, “कुछ उड़ानें बंद कर दी गई हैं। शायद यात्री बारिश में यात्रा नहीं आना चाहते, लेकिन मॉनसून के महीनों के बाद स्थिति में सुधार होगा। बहरहाल, अयोध्या किसी न किसी वजह से खबरों में बना हुआ है। केंद्र सरकार ने भाजपा शासित राज्यों से कहा है कि वे अयोध्या को अपने पर्यटन मैप में महत्व दें। कुछ राज्य सरकारें अपना पूरा मंत्रिमंडल लेकर अयोध्या पहुंचे भी हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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