अंतरधार्मिक शादी को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फ़ैसला दिया है। कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह का नोटिस प्रकाशित करना यानी सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं होगा। यह शादी करने वाले युवक-युवती की पसंद पर निर्भर करेगा कि उस नोटिस को प्रकाशित किया जाए या नहीं। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के नोटिस के प्रकाशित करने से 'स्वतंत्रता और गोपनीयता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन' होगा। कोर्ट ने कहा कि ये नोटिस शादी करने वाले जोड़ों के अपना साथी चुनने की स्वतंत्रता को भी प्रभावित करेंगे। हाई कोर्ट के इस फ़ैसले से अंतरधार्मिक शादी करने वालों को राहत मिलने की उम्मीद है।