उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में नकली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 28 हो गई है। पुलिस ने इस मामले में शराब बिक्रेता और ठेका चलाने वालों समेत छह लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि पुलिस ने विपिन यादव और ऋषि पाल शर्मा की गिरफ़्तारी के लिए 50-50 हज़ार रुपए का ईनाम रखा है। ये दोनों ही इस कांड के मुख्य अभियुक्त अनिल चौधरी से जुड़े हुए हैं।
जे. एन. एम. मेडिकल कॉलेज और मलखान सिंह अस्पताल में 20 लोगों का इलाज चल रहा है।
बढ़ सकती है मरने वालों की तादाद
अलीगढ़ के ज़िला मजिस्ट्रेट चंद्र भूषण ने कहा कि शुक्रवार को हुए कांड में 24 घंटे में मरने वालों की संख्या 16 से बढ़ कर 28 हो गई। यह तादाद बढ़ सकती है क्योंकि नकली शराब पीकर बीमार पड़ने वाले और ज़्यादा लोगों को गाँवों से अलीगढ़ शहर लाया जा रहा है।
ज़िला मजिस्ट्रेट ने चीफ़ मेडिकल अफ़सर के हवाले से कहा है कि कुछ और शव लाए गए हैं, लेकिन उनकी मौत नकली शराब पीने से ही हुई है, यह अभी नहीं कहा जा सकता है। इन शवों के नमूने ले लिए गए हैं और विसरा सुरक्षित रखा गया है।
नकली शराब पीकर मरने वालों के परिजनों की शिकायत है कि इसके पहले ही वहाँ नकली शराब का धंधा चलता रहा है, जिसके ख़िलाफ लोगों ने कई बार पुलिस व स्थानीय प्रशासन को शिकायत की और ज्ञापन वगैरह सौंपा, पर नतीजा सिफ़र रहा।
कच्ची शराब बरामद
स्थानीय अख़बारों के अनुसार, पुलिस ने पूराकलाँ रोड स्थित टकटकी कबूतरा डेरा पर दबिश दी। पुलिस ने एक महिला को गिरफ़्तार कर लिया और उसके पास से सौ लीटर कच्ची बरामद की। इसके अलावा लगभग पाँच हजार लीटर लहन भी नष्ट किया। पुलिस की इस कार्रवाई से अवैध शराब के कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
ख़बरों के अनुसार, पुलिस ने स्टॉक एवं नकली शराब की सघन चेकिंग की और दुकानों पर रखी शराब की बोतलों के बार कोड एवं क्यूआर कोड को स्केन किया है।
पुलिस अधिकारियों ने शराब दुकानदारों को चेताया कि स्टॉक से अधिक शराब मिलने, मिलावटी शराब एवं ओवर रेट बिक्री की शिकायत मिलने पर सख़्त कार्रवाई की जाएगी।
शराब की बिक्री के दौरान कोविड नियमों का पालन करने के भी सख्त निर्देश दिए।
इसके पहले अगस्त 2020 में पंजाब में ज़हरीली शराब ने कम से कम 86 लोगों की जान ले ली। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 7 आबकारी अधिकारियों और 6 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया था। निलंबित किए गए अधिकारियों में दो डीएसपी और 4 थानाधिकारी थे।
ज़हरीली शराब से सिर्फ़ तरनतारन में ही 63 मौतें हो चुकी हैं। अमृतसर में 12 और गुरदासपुर के बटाला में 11 मौतें हुईं।
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