अलीगढ़ प्रशासन ने सड़कों पर धार्मिक आयोजन करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यानी सड़कों पर अब न तो नमाज़ होगी और न ही हनुमान चालीस और महाआरती। इस प्रतिबंध को लगवाने में दक्षिणपंथी संगठनों के समूह का हाथ है। दरअसल, सड़कों पर नमाज़ अदा करने वाले मुसलमानों के विरोध में इन संगठनों के समूह ने हर मंगलवार और शनिवार को सड़कों पर हनुमान चालीस का पाठ और महाआरती शुरू कर दी थी। ये संगठन सड़कों पर नमाज़ अदा करने का विरोध करते रहे हैं और राजनीतिक दल से जुड़े नेता इसको भुनाने का प्रयास करते रहे हैं। यही कारण है कि जब सड़कों पर हनुमान चालीसा और महाआरती शुरू हुई तो कई नेता भी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने पहुँचे। अब यह मामला प्रशासन को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील लगने लगा है। अलीगढ़ के ज़िला मजिस्ट्रेट सी.बी. सिंह ने इसकी पुष्टि की कि अनुमति के बिना ‘शुक्रवार की नमाज़’ सहित किसी भी धार्मिक गतिविधियों को सड़कों पर नहीं किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ईद जैसे कुछ अवसरों पर छूट रहेगी जब बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हो जाते हैं।
यह साफ़ है कि दक्षिणपंथी संगठनों ने सड़कों पर हुनमान चालीसा और महाआरती की शुरुआत नमाज़ को बंद कराने के लिए की थी। क्योंकि पहले सामान्य रूप से हनुमान चालीसा या महाआरती सड़कों पर नहीं होती रही है। हालाँकि जब तब सड़कों पर धार्मिक शोभायात्राएँ निकाली जाती रही हैं और नवरात्र जैसे अवसरों पर भी कई जगह आयोजन होते रहे हैं। ऐसे में जब दक्षिणपंथी संगठनों ने सड़कों पर धार्मिक आयोजन शुरू किए तो सवाल उठने लगे कि उनका मक़सद क्या है? क्या वे इससे चिंतित हैं कि सड़क पर ऐसे आयोजनों से यातायात प्रभावित होता है और लोगों को परेशानियाँ होती हैं या कोई राजनीतिक कारण है?
यह कैसा विरोध?
बता दें कि बजरंग दल सहित कई दक्षिणपंथी संगठनों ने इस महीने प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को मंदिरों के बाहर हनुमान आरती का आयोजन किया था, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों के भाग लेने के कारण सड़कों पर अराजकता फैल गई थी। बीजेपी की अलीगढ़ की पूर्व मेयर शकुंतला भारती ने भी पिछले शनिवार को महाआरती और हनुमान चालीसा का पाठ किया था।
‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि धार्मिक समूहों के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर नमाज़ अदा करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराया है। अलीगढ़ शहर इकाई के बीजेपी महासचिव मानव महाजन के अनुसार, यदि कोई समुदाय नमाज़ अदा करने के लिए सड़क को अवरुद्ध कर सकता है तो हिंदू सड़कों पर महाआरती क्यों नहीं कर सकते हैं। हालाँकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि हिंदुओं ने सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया, उनके लिए कई मंदिर उपलब्ध हैं, लेकिन कभी-कभी अत्यधिक भीड़ के कारण वे सड़कों पर आ गए।
अख़बार के अनुसार बीजेपी नेता ने कहा कि वह उन लोगों के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने सड़कों पर नमाज़ अदा करने की प्रथा के विरोध में इस परंपरा की शुरुआत की। महाजन ने कहा कि कम से कम यह एक बहस का मुद्दा बन गया। उन्होंने आगे कहा कि सड़कें धार्मिक गतिविधियों के लिए नहीं हैं।
प्रशासन को माहौल ख़राब होने का डर
ज़िला मजिस्ट्रेट सिंह ने कहा कि सभी को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता है लेकिन केवल धार्मिक स्थलों पर और सड़कों पर नहीं। ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘मैंने हाल के दिनों में इस तरह की गतिविधियों में लिप्त संगठनों के प्रतिनिधियों से बात की और उन्हें इस मुद्दे की संवेदनशीलता के बारे में बताया।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की गतिविधियों से क़ानून और व्यवस्था की स्थिति गड़बड़ा सकती है। सिंह ने कहा कि चूँकि शहर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील है, कोई भी छोटा मुद्दा माहौल को ख़राब कर सकता है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी सड़कों पर नमाज़ अदा करने के विरोध में हनुमान चालीसा और महाआरती जैसे धार्मिक आयोजन शुरू किए गए थे। पश्चिम बंगाल में बीजेपी सरकार बनाने के लिए ज़ोर लगा रही है और इन आयोजनों को भी इससे जोड़कर देखा गया था। माना जाता है कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में ध्रुवीकरण कर सत्ता हथियाने में जुटी हुई है।
अपनी राय बतायें