अपने साथी अफ़सर की जान बचाने की कोशिश में शहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा ने करगिल युद्ध के दौरान दो अहम चोटियों पर कब्जा किया था। सेना में भर्ती होने के पहले उन्हें हांगकांग में मर्चेंट नेवी की नौकरी मिली थी, लेकिन बत्रा ने उसके बदले उससे कम पैसे में सेना में ज़ोखिम भरी नौकरी चुनी।
करगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा ने अहम रोल अदा कर अपने साहस व पराक्रम के बल पर युद्ध को नया मोड़ दे दिया था। उनके शौर्य एवं बलिदान को आज पूरा देश याद कर रहा है। अपनी वीरता, जोश-जूनून, दिलेरी और नेतृत्व क्षमता से 24 साल की उम्र में ही सबको अपना दीवाना बना देने वाले इस वीर योद्धा को 15 अगस्त 1999 को वीरता के सबसे बड़े पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित गया।