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यूसीसी पर चर्चा के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक, जानें क्या है रुख

समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी पर चर्चा करने के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी बैठक बुलाई। यह बैठक ऑनलाइन है। इसमें यूसीसी के मसौदे के मुद्दे पर चर्चा की जा रही है। एआईएमपीएलबी सामान्य तौर पर यूसीसी का विरोध करता रहा है। क़रीब हफ़्ते भर पहले भी इसने ऐसे कुछ संकेत दिए थे जब विधि आयोग ने यूसीसी मुद्दे पर लोगों की राय मांगी थी।

भारत के विधि आयोग के सचिव ने पहले एआईएमपीएलबी को यूसीसी के संबंध में बड़े पैमाने पर जनता से विचार और सुझाव मांगते हुए प्रतिक्रिया देने के लिए कहा था। इस पर एआईएमपीएलबी के महासचिव ने कहा है कि इस मुद्दे की पहले जांच की गई थी और आयोग के पूर्ववर्ती इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि यूसीसी 'न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय'।

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दरअसल, एआईएमपीएलबी का वह बयान उस संदर्भ में है जब क़रीब पाँच साल पहले यानी 2018 में विधि आयोग ने अपना तीन साल का कार्यकाल समाप्त होने से कुछ घंटे पहले पेपर जारी किया था। केंद्र ने तब उससे भी दो साल से अधिक समय पहले आयोग से यह जांच करने के लिए कहा था कि क्या विभिन्न समुदायों के व्यक्तिगत कानूनों पर एक समान संहिता लाने का समय आ गया है।

तब विधि आयोग ने इस पर जोर दिया था कि 'पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव करने वाले कानूनों से निपटना ज़्यादा महत्वपूर्ण है'। आयोग ने कहा था, 'इसलिए इस आयोग ने समान नागरिक संहिता प्रदान करने के बजाय भेदभावपूर्ण क़ानूनों से निपटा है। समान नागरिक संहिता इस स्तर पर न तो ज़रूरी है और न ही वांछनीय।'

बहरहाल, जब मौजूदा विधि आयोग ने यूसीसी पर सुझाव मांगे हैं तो इसके कुछ मुद्दों को लेकर आपत्ति की जा रही है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार एआईएमपीएलबी के महासचिव ने धार्मिक संगठनों, व्यक्तियों और सार्वजनिक जीवन से जुड़े उत्साही लोगों द्वारा उचित प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए छह महीने का समय मांगा।
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इससे पहले एआईएमपीएलबी ने अपनी कार्यकारी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें कहा गया था कि समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन संभव नहीं है क्योंकि यह एक 'अनावश्यक' अधिनियम होगा।

इसमें कहा गया है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 को बनाए रखा जाना चाहिए और अच्छी तरह से लागू किया जाना चाहिए।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ऑनलाइन मुहिम

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी के ड्राफ्ट को लेकर पिछले काफी समय से कड़ी मेहनत की है। इसके लिए देश भर के मुसलमानों में कैंपेन चलाए गए। कहा जा रहा है कि कैंपेन में कहा गया है कि यूसीसी को लेकर विधि आयोग के सामने देश भर के सभी मुसलमान अपना विरोध दर्ज कराएँ।

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोगों से अपील की है कि यूसीसी के खिलाफ विरोध दर्ज कराएँ। चिट्ठी के ज़रिए एक बार कोड भी दिया गया है, जिसको स्कैन करके अपनी राय सीधे भारत के विधि आयोग तक पहुँचायी जा सकती है। 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मोहम्मद फजलुरेहीम मुजद्दीदी के नाम से जारी पत्र में कहा गया कि हमारे देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने का माहौल बनाया जा रहा है, इसके जरिए अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों की स्वतंत्रता पर चोट पहुंचायी जा रही है।

केरल में भी मुस्लिम संगठनों का विरोध

केरल में प्रमुख मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने यूसीसी के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग यानी आईयूएमएल के नेतृत्व वाले संगठनों ने राय दी है कि यदि यूसीसी लागू किया जाता है, तो यह न केवल मुसलमानों बल्कि अन्य लोगों को भी प्रभावित करेगा। मंगलवार की बैठक में शामिल हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष पनक्कड़ सैय्यद सादिक अली शिहाब थंगल ने कहा, 'यूसीसी मुसलमानों का मुद्दा नहीं है, यह सभी लोगों का मुद्दा है। हम इसके खिलाफ सभी लोगों को एकजुट करेंगे और कानूनी और राजनीतिक रूप से लड़ेंगे।' 

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क़मर वहीद नक़वी
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