प्रधानमंत्री मोदी ने समान नागरिक संहिता की वकालत की। विधि आयोग ने भी इस पर प्रतिक्रिया मांगी है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विधि आयोग को अपनी राय भेजने से पहले इस पर चर्चा करने के लिए बैठक कर रहा है।
बैठक में अदालतों से दरख्वाशत की गई की वह कानूनों को लागू करवाने वाली संस्था होने के नाते गरीब, मजलूम और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोके, क्योंकि अदालत ही किसी भी इंसान की आखिरी उम्मीद होती है।
ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट के आदेश पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उसने कहा है कि कोर्ट ने हिन्दू चरमपंथियों का रास्ता आसान कर दिया है। इससे तमाम तरह की समस्याएं पैदा होंगी।
ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ईशनिंदा क़ानून यानी एंटी ब्लासफ़ेमी लॉ की माँग क्यों की है, क्या वह भारत में इसलाम पर हो रहे कथित हमलों से परेशान है?