ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक बार फिर चर्चा में है। इस बार बोर्ड अंतर धार्मिक विवाह के ख़िलाफ़ मैदान में उतरा है। बोर्ड ने एक प्रेस नोट जारी करके मुसलमानों और ग़ैर-मुसलमानों के बीच होने वाली शादियों को ग़ैर-इस्लामी क़रार दिया है। साथ ही मुसलमानों को इस तरह की शादियों से बचने की नसीहत दी है। बोर्ड की इस सलाह पर कई सवाल उठ रहे हैं।
कितना सही है अंतर-धार्मिक विवाह पर मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड का एतराज़?
- विचार
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- 7 Aug, 2021

ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक बार फिर चर्चा में है। इस बार बोर्ड अंतर धार्मिक विवाह के ख़िलाफ़ मैदान में उतरा है।
क्या कहा है बोर्ड ने?
ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल ला बोर्ड ने अंतर-धार्मिक शादियों पर अफसोस जताया है। बोर्ड का कहना है कि मुसलिम लड़का मुसलमान लड़की से और मुसलमान लड़की मुसलिम लड़के से ही शादी करे। बोर्ड की तरफ से इसके कार्यवाहक महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने प्रेस नोट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि मुसलिम लड़के-लड़कियों का ग़ैर मुसलिमों से शादी करना धार्मिक रूप से ग़लत है।