रोहित वेमुला को अब तेलंगाना पुलिस ने दलित मानने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही इसने 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला की मौत की जांच बंद कर दी है। अदालत में सौंपी अपनी रिपोर्ट में पुलिस ने दावा किया है कि वह दलित नहीं थे और संभवतः इसी डर के कारण कि उनकी असली जाति उजागर हो जाएगी, उन्होंने आत्महत्या कर ली। इसने सभी आरोपियों को आरोपमुक्त भी कर दिया है। रोहित वेमुला मामले की जांच पिछली केसीआर सरकार में पूरी हुई थी और अब रेड्डी सरकार में यह रिपोर्ट सौंपी गई है। वेमुला के परिवार ने पुलिस के इस दावे को खारिज किया है और कहा है कि वह इसके ख़िलाफ़ लड़ेगा।
तेलंगाना पुलिस का दावा- रोहित वेमुला दलित नहीं थे; क्लोजर रिपोर्ट दायर
- तेलंगाना
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- 3 May, 2024
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या के 6 साल बाद आख़िर तेलंगाना पुलिस ने किस आधार पर दलित मानने से इनकार किया? जानिए, इसने क्या कहा है।

पुलिस ने 2016 में आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। आरोपियों में सिकंदराबाद के तत्कालीन सांसद बंडारू दत्तात्रेय, एमएलसी एन रामचंदर राव और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी- सभी भाजपा नेता थे। इनके साथ ही हैदराबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति पी अप्पा राव को भी आरोपी बनाया गया था। क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के साथ ही पुलिस ने आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया है।