बिहार के बाद अब तेलंगाना में भी जाति आधारित सर्वे होगा। तेलंगाना विधानसभा ने राज्य में घर-घर जाकर जातिगत सर्वे करने सरकार के प्रस्ताव को शुक्रवार को पारित कर दिया है। इस सर्वे के जरिये राज्य में रहने वाली विभिन्न जातियों से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्र किये जायेंगे। इसका मकसद राज्य में ओबीसी, दलित, आदिवासी और अन्य कमजोर तबके के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं बनाना है और उसे लागू करना है।
शुक्रवार को तेलंगाना विधानसभा में राज्य सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने इस सर्वे का प्रस्ताव पेश किया। सदन में बहस के बाद इस पर सहमति बनी और इसे पारित कर दिया गया।
राज्य में जाति आधारित सर्वे कराने को लेकर तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा है कि कांग्रेस का कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए काम करने का इतिहास है। हमारी सरकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वादे को पूरा कर रही है। पिछली बीआरएस सरकार ने घर-घर जाकर हुए सर्वे की जानकारी सार्वजनिक नहीं की थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ऐसा नहीं करेगी। हमारा मकसद विकास में पिछड़ चुके वर्गों को मजबूत करना है। पिछड़े वर्गों को शासक बनाना है।
उन्होंने कहा कि, राज्य में समाज के सभी वर्गों का डेटा एकत्र किया जायेगा। राज्य सरकार पिछड़े वर्गों को आर्थिक, राजनीतिक, रोजगार और शैक्षिक क्षेत्रों में आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। अल्पसंख्यकों के लाभ के लिए व्यापक योजनाएं और नीतियां वैज्ञानिक तरीके से तैयार की जायेंगी।
द हिंदू की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तेलंगाना सरकार ने पिछड़े वर्गों पर विशेष ध्यान देने के साथ लोगों की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, रोजगार, राजनीतिक और जातिगत स्थिति का आकलन करने के लिए व्यापक घर-घर सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया है। राज्य विधानसभा ने पांच घंटे से अधिक की मैराथन बहस के बाद इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया।
पिछड़ा वर्ग कल्याण और परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर द्वारा विधानसभा में पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि, सदन व्यापक डोर-टू-डोर घरेलू सर्वे (संपूर्ण तेलंगाना का सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जाति सर्वे) करने का संकल्प लेता है ताकि सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक,, रोजगार से जुड़ी योजना बनाई जा सके और उन्हें लागू किया जा सके।
मंत्री ने पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कांग्रेस सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि सरकार जाति सर्वे के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए राजनीतिक दलों, पिछड़े वर्गों के नेताओं और विशेषज्ञों सहित सभी हितधारकों का सहयोग लेगी।
सदन में हुई बहस का जवाब देते हुए मंत्री प्रभाकर ने विपक्षी सदस्यों से सर्वेक्षण के संचालन में बाधा उत्पन्न नहीं करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि पिछली बीआरएस सरकार द्वारा सार्वजनिक धन का उपयोग करके इसी तरह की कवायद की गई थी, लेकिन सर्वे का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया था।
विधानसभा से पारित इस प्रस्ताव पर राज्य के उप मुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि जाति सर्वे पर प्रस्ताव शुरुआत है और यह आने वाले दिनों में बीसी उप योजना जैसे कांग्रेस द्वारा सुनिश्चित कई अन्य कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त करेगा।
राहुल गांधी उठाते रहे हैं जाति गणना का मुद्दा
राहुल गांधी जाति गणना का मुद्दा लंबे समय से उठाते रहे हैं। वह कई मंचों से कह चुके हैं कि देश के संसाधनों पर कुछ मुट्ठी भर लोगों का नियंत्रण है। देश का ज्यादातर धन और राजनैतिक शक्ति कुछ लोगों के पास जमा है। ऐसे में सामाजिक आर्थिक न्याय देने के लिए जाति आधारित गणना जरूरी है। राहुल गांधी कह चुके हैं कि अगर उनकी सरकार केंद्र में बनेगी तो वह जाति गणना करवाएंगे और इससे मिले आंकड़ों के आधार पर पिछड़े समुदाय के लिए विकास से जुड़ी योजनाएं लेकर आएंगे।
माना जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जनता से किए वादों को पूरा करने के लिए ही तेलंगाना सरकार घर-घर जाकर होने वाले इस जाति सर्वे को कराने जा रही है। कहने को इसमें सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक जानाकारियां भी एकत्र की जायेंगी लेकिन यह असल मायने में जाति सर्वे ही है। इस सर्वे से बिहार की तरह सामने आयेगा कि किस जाति के कितने लोग तेलंगाना में हैं। किस जाति के कितने लोग सरकारी नौकरी में हैं। किस जाति के कितने लोग किस स्तर की शिक्षा ले चुके हैं।
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