तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके पार्टी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उसने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दाखिल करके सीएए को देश की धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने के खिलाफ बताया है। उसका कहना है कि सीएए धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह तमिल लोगों के खिलाफ है। तमिलनाडु और डीएमके पहला ऐसा राज्य और पार्टी है जो सीएए के खिलाफ कोर्ट पहुंची है। इस घटनाक्रम से यह बात भी सामने आ गई कि देश के मौजूदा नेताओं में डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन पूरी तरह सिद्धांतवादी राजनीति कर रहे हैं। तमाम मुद्दों पर वो खुलकर स्टैंड लेते रहे हैं और केंद्र की सत्तारूढ़ बीजेपी को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं।
सीएए के विरोध में डीएमके क्यों पहुंची सुप्रीम कोर्ट
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- 30 Nov, 2022
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके पार्टी सीएए को फिर चर्चा के केंद्र में ले आई है। उसने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि सीएए कानून देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ है। उसने इसे तमिल रिफ्यूजियों से जोड़ते हुए मोदी सरकार और एआईएडीएमके के स्टैंड पर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल उठा दिया है। पेश है तथ्यात्मक विश्लेषणः
