एक छोटे और अधूरे राज्य के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिस स्तर तक जा कर चुनाव प्रचार किया और एग़्जिट पोल के जो नतीजे आए हैं, उससे सत्तारूढ़ दल पर कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
यदि भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए गोपाल कांडा के समर्थन की ज़रूरत नहीं होती, तो क्या लोगों का ध्यान इस ओ गया होता? क्या इस तरह के कांड करने वाले अकेले व्यक्ति हैं गोपाल कांडा?
अलग-अलग दौर में यात्रा के रूट पर विस्फोट हुए हैं। जानमाल का नुक़सान भी हुआ। पर यात्रा तब भी नहीं रोकी गई। इस बार अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण माहौल के बावजूद यात्रा रोकी जा रही है। क्यों?
बजट भाषण भी अच्छा दिया-धारा प्रवाह अंग्रेज़ी में। वित्त मंत्री के ‘प्रभावशाली बजट भाषण’ सुनने के बाद मैं बजटीय प्रावधान के ज़रूरी आँकड़ों का इंतज़ार करने लगा। आँकड़े कहाँ हैं?
क्या पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी सपा-बसपा को चलाने वाले दोनों ‘परिवार’ कहीं न कहीं केंद्र के निज़ाम और सत्ताधारी दल के शीर्ष नेतृत्व से डरे-सहमे थे?