अब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अन्य प्रांतों के लोगों को ज़मीन खरीदने और मकान बनाकर रहने का अधिकार दे दिया है। इस संबंध में कश्मीर के मूल निवासी होने की शर्त को हटा लिया गया है।
दशकों पुरानी आपसी प्रतिद्वंद्विता छोड़कर पहली बार साथ आईं जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने फारूक अब्दुल्ला को गठबंधन का नेता चुना। गठबंधन ने अपना झंडा राज्य के पूर्व झंडे को अपनाया है।
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने रिहा होने के बाद पहली बार प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने अनुच्छेद 370 को बहाल करने का संकल्प लेते हुए कहा कि देश संविधान से चलेगा, बीजेपी के घोषणा पत्र से नहीं।
जम्मू और कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 370 और 35 ए की बहाली के लिए संघर्ष करने का दम भर रहे राजनीतिक दल लंबी लड़ाई के लिए ख़ुद को तैयार करने में जुटे हुए हैं।
कश्मीर की छह प्रमुख पार्टियों ने यह तय किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जो हैसियत 5 अगस्त 2019 से पहले थी, उसकी वापसी के लिए वे मिलकर संघर्ष करेंगे।
जम्मू और कश्मीर से छीन लिए गए विशेष संवैधानिक दर्जे (स्टेटहुड) को बहाल करने के लिए कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं की प्रतिबद्धता केवल ज़बानी जमा खर्च साबित हो रही है।
लंबे वक़्त तक सियासी ख़ालीपन से गुज़रे जम्मू कश्मीर में क्या अब राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हो गई है? यह सवाल इसलिए कि नेशनल कॉन्फ़्रेंस के प्रमुख फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी के कई नेताओं से गुरुवार को मुलाक़ात की है।