पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने अगर यह सोचा था कि वह कश्मीर के राजनीतिक दलों को अप्रासंगिक कर देगी तो शायद वो गलत था। एक साल बाद कश्मीर के मुख्यधारा राजनीतिक दलों ने फिर से कमर कसनी शुरू कर दी है।