केंद्र में कश्मीरी पंडितों के समर्थन वाली सरकार है। जम्मू कश्मीर में सारी बधाएं दूर करके केंद्र ने अपने एलजी मनोज सिन्हा को बैठा दिया है। इसके बावजूद राज्य में कश्मीरी पंडितों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। कुल मिलाकर जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के सारे फॉर्म्युले नाकाम हो गए हैं।
जम्मू कश्मीर में पिछले 24 घंटे में 4 आतंकवादी घटनाएँ घटी हैं और इनमें से एक में कश्मीरी पंडित को निशाना बनाया गया है? क्या उनमें ऐसे कभी विश्वास बहाल हो पाएगा?
1990 में और उसके बाद हज़ारों कश्मीरी पंडित परिवारों को घाटी से भागना पड़ा। वहाँ ऐसे हालात क्यों पैदा हुए और उनके पीछे 1987 की चुनावी धाँधलियों का क्या रोल था?