यह वह दौर था जब देश में न कांग्रेस की सरकार थी, न बीजेपी की। इसलिए कश्मीरी पंडितों के निष्कासन के लिए इन दोनों में से किसी भी दल को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। दोषी अगर ठहराया जा सकता है तो तत्कालीन जनता दल की सरकार को जिसका नेतृत्व विश्वनाथ प्रताप सिंह कर रहे थे और राज्यपाल जगमोहन को जिनके हाथ में 19 जनवरी 1990 के दिन से ही राज्य की बागडोर आ चुकी थी। आज की कड़ी में हम तत्कालीन राज्यपाल की भूमिका की पड़ताल करेंगे। लेकिन साथ ही दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को भी अपनी जाँच के दायरे में लेंगे जिन्होंने उसके बाद के 27 सालों तक देश पर राज किया लेकिन ऐसी स्थितियाँ नहीं बना पाए कि कश्मीरी पंडित वापस अपने घरों को जा सकें।