आम लोगों के मानवाधिकार के लिए आवाज उठाने वाले जीएन साईबाबा की मौत को हम साधारण मौत नहीं मान सकते। इस देश के सिस्टम ने उन्हें तिलतिल कर मारा है। याद कीजिए फादर स्टेन स्वामी की मौत। क्या वो मौत थी। ये दोनों मौतें दिखने में गौरी लंकेश की हत्या जैसी नहीं हैं, लेकिन उससे कहीं कम भी नहीं हैं। इसीलिए लोग जीएन साईबाबा की मौत को भी हत्या मान रहे हैं। क्या इसकी ज़िम्मेवारी राज्य (सरकार) को और न्यायपालिका को लेनी चाहिए? स्तंभकार अपूर्वानंद का विचारोत्तेजक लेखः