सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। उन्हें कथित माओवादी संबंधों के कारण गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए मामले में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
जीएन साईबाबा को बरी करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से SC का इनकार
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- 11 Mar, 2024
हाईकोर्ट ने मामले में सभी लोगों को रिहा करने का आदेश दिया, लेकिन महाराष्ट्र सरकार फिर से हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट क्यों चली गई? जानें इसने अब क्या कहा।

साईबाबा और पांच अन्य को 2017 में एक सत्र अदालत ने दोषी ठहराया था। उच्च न्यायालय ने 14 अक्टूबर, 2022 को 54 वर्षीय साईबाबा को बरी कर दिया था, लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने उस फ़ैसले को रद्द कर दिया था और मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय में भेज दिया था। चलने-फिरने में असमर्थ साईबाबा व्हीलचेयर पर हैं।