जी 20 यानी 19 देशों और यूरोपीय संघ को मिलाकर बने इस संगठन के इतिहास में सत्रह साल बाद भारत को इसकी मेजबानी का मौका क्यों मिला। इतने साल आख़िर क्यों लग गए?
केंद्र की बीजेपी सरकार पूरे देश के एक विचारधारा में रंगने की कोशिश कर रही है, जब सवाल उठता है कि बहुलतावाद को खतरा किससे है? और कौन है जिसे इसके खत्म होने से फायदा है?