कश्मीर के दौरे पर हाल ही में आए यूरोपियन सांसदों यानी एमईपी के दौरे को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट के अनुसार उनकी यात्रा फ़ेक मीडिया और थिंक टैंक से जुड़ी थी।
यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों को जम्मू-कश्मीर जाने के लिए निमंत्रित करने और यात्रा आयोजित करने वाला संगठन वूमन्स इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक (डब्लू ई एस टी टी) यानी वेस्ट विवादों में हैं।
यूरोपीय सांसदों को जम्मू-कश्मीर का दौरा क्यों कराया गया? इससे फ़ायदा तो नहीं होता दिख रहा है, लेकिन नुक़सान ज़बरदस्त होता दिख रहा है। तो मोदी सरकार को किसने दिया ऐसा सुझाव? क्या कोई जानबूझकर प्रधानमंत्री मोदी की छवि को नुक़सान पहुँचाना चाहता है? सत्य हिंदी पर देखिए आशुतोष की बात।
कश्मीर दौरे पर आए यूरोपीय संसद के सदस्यों के दल में सभी 6 सांसद एक ही पार्टी जस्टिस एंड लॉ पार्टी से हैं। यह पार्टी राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी विचारधारा वाली है।
यूरोपीय संसद के 23 सदस्यों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त प्रतिक्रिया हो रही है। ट्विटर पर #ये_कैसा_राष्ट्रवाद ट्रेंड कर रहा है, जिससे सैकड़ों लोग जुड़ गए हैं।
यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों का दल कश्मीर दौरे पर है। इसी दल में से एक है फ़्रांस के 6 सदस्यों का दल। सभी एक ही पार्टी ‘नेशनल रैली’ पार्टी से हैं। क्या हैं उनके मुसलिमों के बारे में विचार हैं।
यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों की टीम के जम्मू-कश्मीर दौरे पर कई राजनीतिक दलों के नेता, पत्रकार, बुद्धिजीवि और समाज के दूसरे तबकों के लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है।
यूरोपीय संघ के 25 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर जाएगा। वह वहाँ की स्थिति का जायजा लेगा और विशेष दर्जा ख़त्म होने के बाद की स्थिति का अध्ययन करेगा।