कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को एक और ज़ोरदार झटका लगा है। यूरोपीय संसद के सदस्यों ने साफ़ शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण देता है और सीमा पार भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इसके पहले चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर पर अनौपचारिक बैठक की माँग की थी तो किसी देश ने उसका समर्थन नहीं किया था। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटरेस ने कहा था कि यह दोतरफा मसला है और दोनों देशों को आपसी बातचीत से यह मामला सुलझा लेना चाहिए।
यूरोपीय संघ में मंगलवार को 'कश्मीर की स्थिति' विषय पर चर्चा हुई। इसमें सदस्यों ने कहा कि अनुच्छेद 370 में बदलाव करना भारत का अंदरूनी मामला है। इसके साथ ही उन्होंने यूरोपीय संघ से कहा कि वह भारत की संप्रभुता का सम्मान करे।
क्या कहा सदस्यों ने?
यूरोपियन कंज़रवेटिव एंड रिफ़ॉर्मिस्ट ग्रुप के ज्यॉफ्री वॉन ऑर्डन ने कहा कि पाकिस्तान ने अपनी विशेष सेवाओं को नियंत्रण रेखा के पार लोगों को कुचलने और आतंकवाद की मदद करने की इजाज़त दे रखी है। उन्होंने यह भी कहा कि इसलामाबाद ने कश्मीर के एक हिस्से पर ज़बरन कब्जा कर रखा है।उन्होंने कहा, 'कश्मीर की स्थिति पिछले 70 साल से अनिश्चित है, यह बाहरी समर्थन से चल रहे आतंकवाद से लगातार परेशान रहा है। अंत में इसे दुरुस्त करने का एक मौक़ा आया है।'
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क़ानूनन, पूरा कश्मीर ही भारत के पास होना चाहिए था, पर पाकिस्तान ने इस पर हमला कर दिया और इसके एक हिस्से को कब्जा कर लिया। इसके बाद पाकिस्तान ने वहाँ लोगों को कुचलने और आतंकवाद को मदद करने की छूट अपने विशेष दलों को दे रखी है, जिससे सीमा पार हर साल एक हज़ार लोगों की जानें जाती हैं।
ज्यॉफ्री वॉन ऑर्डन, सदस्य, यूरोपीय संघ संसद
उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति अनुच्छेद 370 बदले जाने के बाद बेहतर होगी और उसे दूसरे राज्यों के बराबर ही हक़ मिलेगा। ऑर्डन ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान को सकारात्मक बातचीत करनी चाहिेए।
इटली से चुने गए सांसद फलवियो मार्तुसीलो ने कहा, 'भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, हमें भारत और जम्मू-कश्मीर में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर नज़र डालनी होगी। ये आतंकवादी चंद्रमा से नहीं उतरते हैं, पड़ोसी देश से आते हैं। हमें लोकतांत्रिक देश भारत का समर्थन करना चाहिए।'
लेकिन कुछ सदस्यों ने इससे असहमति भी जताई है। जर्मनी से चुने गए सांसद बर्नहार्ड ज़िमनिओक ने कहा कि यूरोपीय संघ को निष्पक्ष भूमिका अपनानी चाहिए और किसी एक के पक्ष में बातें नहीं करनी चाहिए। कई सदस्यों ने कश्मीर में 5 अगस्त से चल रही बंदी पर भी चिंता जताई। बेल्जियम से चुनी गई सदस्य मेरी अरीना ने कहा कि कश्मीर की स्थिति लगातार बिगड़ रही है क्योंकि वहाँ हज़ारों सैनिक भेजे गए है। यूरोपीय संघ के विदेश मामलों की प्रमुख फ़्रेडरिका मॉर्गिनी ने कहा कि भारत पाकिस्तान को आपसी बातचीत से मामला सुलझा लेना चाहिए।
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