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हेमंत सोरेन
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मणिपुर के चुराचांदपुर शहर में फिर से हिंसा हुई है। कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए हैं। हथियारबंद लोगों के साथ एक वीडियो में दिखने पर पुलिसकर्मी को निलंबित किये जाने के बाद बवाल हो गया। पुलिसकर्मी के समर्थन में भीड़ ने जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पर प्रदर्शन किया था और कथित तौर पर पथराव किया था। सुरक्षा बलों ने जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पर जमा हुए सैकड़ों लोगों को हटाने के लिए बल प्रयोग किया।
एक रिपोर्ट के अनुसार एक वीडियो में कथित तौर पर हथियारबंद लोगों के साथ देखे जाने के बाद जिला पुलिस के एक हेड कांस्टेबल को निलंबित कर दिया गया था। वह हेड कांस्टेबल कुकी समुदाय से था। पुलिस के अनुसार निलंबन के कुछ घंटों बाद गुरुवार रात मणिपुर के चुराचांदपुर एसपी कार्यालय पर भीड़ ने हमला करने का प्रयास किया। एक्स पर मणिपुर पुलिस ने कहा, 'लगभग 300-400 की संख्या में भीड़ ने एसपी सीसीपी के कार्यालय पर पथराव करने का प्रयास किया।'
Mob numbering approx. 300–400 attempted to storm the office of SP CCP today, pelting stones, etc. The SF, including the RAF, is responding appropriately by firing tear gas shells to control the situation. Things are under watch..
— Manipur Police (@manipur_police) February 15, 2024
पुलिस ने कहा है, 'आरएएफ सहित एसएफ (सुरक्षा बल) स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागकर उचित जवाब दे रहे हैं। हालात पर नजर रखी जा रही है।' पीटीआई ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से ख़बर दी है कि झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए।
यह घटना तब हुई जब चुराचांदपुर के एसपी शिवानंद सुर्वे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल को अगली सूचना तक तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। वीडियो में सियामलालपॉल को सशस्त्र लोगों के साथ और ग्राम स्वयंसेवकों के साथ बैठे हुए देखा गया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार एक पुलिस आदेश में कहा गया, 'अनुशासित पुलिस बल का सदस्य होने के नाते यह बहुत गंभीर कदाचार के समान है।'
पुलिसकर्मी के खिलाफ इस कार्रवाई से क्षेत्र में अशांति फैल गई। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि संघर्ष में मैतेई पुलिस कर्मियों की भूमिका के समान कार्रवाई नहीं की गई है।
मंगलवार को इंफाल पूर्व में 5वीं आईआरबी से हथियारों की लूट का जिक्र करते हुए आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि पुलिस ने बिना किसी प्रतिरोध के हथियारों को ले जाने दिया। बयान में कहा गया, 'घटना के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया गया। जनजातीय गांवों पर हमला करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने वाले मैतेई पुलिस कर्मियों के खिलाफ कई मामले हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई... अगर एसपी निष्पक्षता से काम नहीं कर सकते तो हम उन्हें किसी भी आदिवासी इलाके में नहीं रहने देंगे। उन्हें तुरंत पुलिसकर्मी का निलंबन रद्द करना चाहिए और 24 घंटे के भीतर जिला छोड़ देना चाहिए।'
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