मणिपुर में जातीय हिंसा के दौरान महिला पर यौन हिंसा का एक और भयावह मामला आया है। यह हिंसा तीन मई को ही हुई थी, लेकिन एक राहत शिविर में रह रही पीड़िता ने पुलिस में अब मामला दर्ज कराया है।
एक 37 वर्षीय महिला 9 अगस्त को मणिपुर के बिष्णुपुर में पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंची कि 3 मई को चुराचांदपुर जिले में उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया था। शिकायत के बाद, बिष्णुपुर पुलिस स्टेशन में एक ज़ीरो एफआईआर दर्ज की गई और उसी दिन इस मामले को चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने 'अज्ञात कूकी बदमाशों' के खिलाफ एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए सामूहिक बलात्कार, हमला, आपराधिक बल प्रयोग करने का मामला दर्ज किया है।
हिंसाग्रस्त मणिपुर में अब अधिक से अधिक महिलाएं इसलिए पुलिस के पास पहुँच रही हैं और अपने साथ हुई चौंकाने वाली बर्बरता के बारे में बता रही हैं क्योंकि अधिकारी उन्हें बोलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ताजा मामला भी वैसा ही है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार 37 वर्षीय विवाहित महिला ने आरोप लगाया कि उसे पुरुषों के एक समूह ने तब पकड़ लिया जब वह अपने दो बेटों, भतीजी और सिस्टर इन लॉ के साथ अपने जलते हुए घर से भाग रही थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि गिरोह ने 3 मई को सामूहिक बलात्कार किया। 3 मई का ही वह दिन है जिस दिन मैतेई लोगों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग के विरोध में हुई कुकी लोगों की रैली के बाद जिले में हिंसा भड़क उठी थी।
हिंसा के दौरान दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक चौंकाने वाला मामला हाल ही में सामने आया था। जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर आया तो इसने पूरे देश को झकझोर दिया। 4 मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया व सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। 18 मई को एफ़आईआर हुई। फिर भी 62 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में कार्रवाई तब हुई जब उस घटना का वीडियो वायरल हुआ।
बता दें कि मणिपुर सरकार द्वारा इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में 6,523 एफआईआर पर प्रस्तुत एक नोट से पता चलता है कि 31 जुलाई तक बलात्कार और हत्या का एक मामला (पीड़िता के साथ कथित तौर पर बलात्कार और हत्या की गई थी), बलात्कार/सामूहिक बलात्कार के तीन मामले, एक महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से हमले के छह मामले, और हत्या के 72 मामले दर्ज किए गए थे। 3 मई से आदिवासी कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा में 152 लोग मारे गए हैं।
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