मणिपुर के विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को पहले चरण में 38 सीटों के लिए 78.03 फीसदी लोगों ने शाम 5 बजे तक वोट डाले। मणिपुर में विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं और अगले चरण का मतदान 5 मार्च को होगा।
पहले चरण में इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और बिष्णुपुर जिलों में मतदान हुआ। इसके अलावा पहाड़ी जिलों कांगपोकपी, चुराचांदपुर और फेरजोल में भी वोट डाले गए।
मणिपुर में बीते कुछ दिनों में हिंसा की घटनाएं हुई हैं। इसलिए चुनाव को निष्पक्ष ढंग से कराने के लिए चुनाव आयोग की तरफ से बड़ी संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों की तैनाती की गई है। राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है।
एनपीपी और एनपीएफ़ को चार-चार सीटें मिली थीं जबकि लोक जनशक्ति पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 36.28 फीसद वोट मिले थे जबकि कांग्रेस ने 35.11 फीसद वोट हासिल किए थे।
कांग्रेस ने बनाया गठबंधन
इस बार बीजेपी सभी 60 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। दूसरी ओर कांग्रेस ने 6 राजनीतिक दलों का गठबंधन बनाया है और इसे मणिपुर प्रोग्रेसिव सेक्युलर एलायंस का नाम दिया गया है। इस गठबंधन में कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और जनता दल (सेक्युलर) शामिल हैं।
बीजेपी की मुश्किलें
मणिपुर में इस बार बीजेपी ने किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया। क्योंकि पार्टी को इस बात का डर था कि इससे राज्य इकाई के अंदर बवाल हो सकता है। वर्तमान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह 2017 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे और तब पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था।
बीरेन सिंह को चुनौती
बीरेन सिंह को सबसे बड़ी चुनौती कैबिनेट मंत्री विश्वजीत से मिल रही है। विश्वजीत के पास राज्य सरकार के 6 विभाग हैं और उन्हें मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शुमार किया जाता रहा है। इन दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई मणिपुर में साफ दिखती रही है।
विश्वजीत के समर्थक दो बार बीजेपी हाईकमान के पास गुहार भी लगा चुके हैं कि बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाए। लेकिन पार्टी हाईकमान ने तब जैसे-तैसे मामले को शांत करा दिया था।
विश्वजीत के अलावा दूसरा नाम गोविंदास कौनथुजाम का है। गोविंदास मणिपुर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और पिछले साल उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का हाथ थाम लिया था। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक गोविंदास इस लड़ाई में बीरेन सिंह और विश्वजीत से आगे निकल सकते हैं क्योंकि उन्हें आरएसएस का भी समर्थन हासिल है।
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